September 2, 2019
स्याही बनकर आती रहो
स्याही बनकर आती रहो बहुत उदास है जिंदगी इसलिए तुम मुस्काती रहो हम हंसते रहेंगे। बहुत बेसुरे से हैं सुर इसलिए तुम गाती रहो हम सुनते रहेंगे। चांद के पास अपनी रोशनी भी तो नहीं इसलिए तुम किरण बनके चमकाने रहो हम चमकते रहेंगे। बहुत नादान है ये दिल कुछ समझता ही नहीं इसलिए