कविता संग्रह राफ और राफ से चयनित 5 कविताएँ डॉ. देव सिंह पोखरिया के ‘राफ’ कविता संग्रह को वर्ष 2022 का शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार देने की घोषणा हुई हैं। यहाँ प्रस्तुत है ‘राफ’ कविता संग्रह के विषय में संक्षिप्त जानकारी व संग्रह से चयनित 5 कविताएँ- राफ कविता
पूरनचंद्र कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ 1. इज है ठुल को ? न सरग न पताव न तीरथ न धाम, इज है ठुल क्वे और न्हैति मुकाम। आपूं स्येतीं गिल म हमूकैं स्येवैं वबाण, हमार ऐरामा लिजी वीक ऐराम हराण। इज क कर्ज है दुनिय में क्वे उऋण नि है सकन, आंचव में पीई दूद क
उत्तराखंड में लागू हो भू कानून- कह रहें हैं युवा कुमाउनी रचनाकार उत्तराखंड में भू-कानून यथाशीघ्र लागू किया जाना चाहिए, क्योंकि किसी भी क्षेत्र पर पहला हक वहाँ की जनता का है। भू-कानून लागू होने से ही यहाँ की जनता को उनका हक मिल पायेगा। ऐसा मानना है यहाँ के युवाओं का।
गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ का काव्य संग्रह: जैंता एक दिन तो आलो कविता संग्रह के विषय में- जैंता एक दिन तो आलो ‘जैंता एक दिन तो आलो’ कवि गिरीश तिवाड़ी ‘गिर्दा’ का काव्य संकलन है। इस संकलन का पहला संस्करण वर्ष 2011 में पहाड़ प्रकाशन, नैनीताल से हुआ है। यह काव्य संग्रह दो खंडों
श्रद्धेय गुरू व साहित्यकार प्रो. शेर सिंह बिष्ट का 19 अप्रैल, 2021 को निधन हो गया। उनके निधन से साहित्य एवं शिक्षा क्षेत्र की अपूरणीय क्षति हुई है। यहाँ प्रस्तुत है प्रो. बिष्ट के शैक्षिक व साहित्यिक योगदान का संक्षिप्त विवरण- प्रो. शेर सिंह बिष्ट: गोल्ड मेडल से हिंदी विभागाध्यक्ष तक की यात्रा जन्म और
‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ 1. सबूंल घर में रून छ कोरोनावायरस हरून छ सब लोगों ले घर में रून छ साफ सफाई को राख् ध्यान घर में करो पुज पाठ ध्यान कौतिक म्याला कुछ दिन बंद छन अनुशासन और धैर्ज ले कोरोनावायरस हरूंल अघिल कै त्यार बार मनूल पैंली हमार पुर्खा
चंद्रशेखर कांडपालकि कुमाउनी कविता १. उत्तराखंड राज्य विकासक् नाम परि बणौ उत्तराखंड राज्य। बाव् बै अब उन्नीस सालक् हैगो ज्वान। गधेरू नेताओंक् ले खूब हैरे बहार। अखवार और भाषणों में जी मिलि रौ रूजगार। जो कभै पधान नीं बण सकछी, आज विधायक-सांसद बणि गेई। आपूंणि आघिल
ज्योति तिवारी काण्डपालकि कुमाउनी कविता १. मीं एक चेलि छीं एक तरफ चेलि अंतरिक्ष में पुंज गेईं। वैज्ञानिक ले मंगलयान, तीसर चन्द्रयानक् तैयारी में छन । डीएम, एसपी, लेफ्टिनेंट, सचिव पदों पर लै चेलि छन। यां तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश पद तक पुंज गईं। हर रोज अघिल
ललित शौर्य कि कुमाउनी कविता १. शब्द ब्रह्म हुनि मैं लड़ते रूंल आज, भोल और पोर ही जाणेक तुम गोलि चलाला मैं कलम चलूल तुम मकें मार सकछा मेर शब्दन कै नी मार सकला कभै किलैकि शब्द ब्रह्म हुनी और यो बात ध्यान धरिया जो ब्रम्ह छू उ अमर छू….।