कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूँ

कविता परिचय- अवतार सिंह संधू पंजाबी के प्रसिद्ध कवि थे। वे पाश उपनाम से लिखा करते थे। यह कविता उन्होंने अपनी पत्नी के प्रति लिखी है। 

मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूँ

मेरी दोस्त, मैं अब विदा लेता हूँ

मैंने एक कविता लिखनी चाही थी

सारी उम्र जिसे तुम पढ़ती रह सकतीं

उस कविता में

महकते हुए धनिए का ज़िक्र होना था

ईख की सरसराहट का ज़िक्र होना था

उस कविता में वृक्षों से टपकती ओस

और बाल्टी में दुहे दूध पर गाती झाग का ज़िक्र होना था

और जो भी कुछ

मैंने तुम्हारे जिस्म में देखा

उस सब कुछ का ज़िक्र होना था

उस कविता में मेरे हाथों की सख़्ती को मुस्कुराना था

मेरी जाँघों की मछलियों को तैरना था

और मेरी छाती के बालों की नरम शॉल में से

स्निग्धता की लपटें उठनी थीं

उस कविता में

तेरे लिए

मेरे लिए

और ज़िन्दगी के सभी रिश्तों के लिए बहुत कुछ होना था मेरी दोस्त

लेकिन बहुत ही बेस्वाद है

दुनिया के इस उलझे हुए नक़्शे से निपटना

और यदि मैं लिख भी लेता

शगुनों से भरी वह कविता

तो वह वैसे ही दम तोड़ देती

तुम्हें और मुझे छाती पर बिलखते छोड़कर

मेरी दोस्त, कविता बहुत ही निसत्व हो गई है

जबकि हथियारों के नाख़ून बुरी तरह बढ़ आए हैं

और अब हर तरह की कविता से पहले

हथियारों के ख़िलाफ़ युद्ध करना ज़रूरी हो गया है

युद्ध में

हर चीज़ को बहुत आसानी से समझ लिया जाता है

अपना या दुश्मन का नाम लिखने की तरह

और इस स्थिति में

मेरी तरफ चुम्बन के लिए बढ़े होंठों की गोलाई को

धरती के आकार की उपमा देना

या तेरी कमर के लहरने की

समुद्र की साँस लेने से तुलना करना

बड़ा मज़ाक-सा लगता था

सो मैंने ऐसा कुछ नहीं किया

तुम्हें

मेरे आँगन में मेरा बच्चा खिला सकने की तुम्हारी ख़्वाहिश को

और युद्ध के समूचेपन को

एक ही कतार में खड़ा करना मेरे लिए संभव नहीं हुआ

और अब मैं विदा लेता हूँ

मेरी दोस्त, हम याद रखेंगे

कि दिन में लोहार की भट्टी की तरह तपने वाले

अपने गाँव के टीले

रात को फूलों की तरह महक उठते हैं

और चांदनी में पगे हुई ईख के सूखे पत्तों के ढेरों पर लेट कर

स्वर्ग को गाली देना, बहुत संगीतमय होता है

हाँ, यह हमें याद रखना होगा क्योंकि

जब दिल की जेबों में कुछ नहीं होता

याद करना बहुत ही अच्छा लगता है

मैं इस विदाई के पल शुक्रिया करना चाहता हूँ

उन सभी हसीन चीज़ों का

जो हमारे मिलन पर तम्बू की तरह तनती रहीं

और उन आम जगहों का

जो हमारे मिलने से हसीन हो गई

मैं शुक्रिया करता हूँ

अपने सिर पर ठहर जाने वाली

तेरी तरह हल्की और गीतों भरी हवा का

जो मेरा दिल लगाए रखती थी तेरे इन्तज़ार में

रास्ते पर उगी हुई रेशमी घास का

जो तुम्हारी लरजती चाल के सामने हमेशा बिछ जाता था

टींडों से उतरी कपास का

जिसने कभी भी कोई उज़्र न किया

और हमेशा मुस्कराकर हमारे लिए सेज बन गई

गन्नों पर तैनात पिदि्दयों का

जिन्होंने आने-जाने वालों की भनक रखी

जवान हुए गेहूँ की बालियों का

जो हम बैठे हुए न सही, लेटे हुए तो ढंकती रही

मैं शुक्रगुजार हूँ, सरसों के नन्हें फूलों का

जिन्होंने कई बार मुझे अवसर दिया

तेरे केशों से पराग-केसर झाड़ने का

मैं आदमी हूँ, बहुत कुछ छोटा-छोटा जोड़कर बना हूँ

और उन सभी चीज़ों के लिए

जिन्होंने मुझे बिखर जाने से बचाए रखा

मेरे पास आभार है

मैं शुक्रिया करना चाहता हूँ

प्यार करना बहुत ही सहज है

जैसे कि ज़ुल्म को झेलते हुए ख़ुद को लड़ाई के लिए तैयार करना

या जैसे गुप्तवास में लगी गोली से

किसी गुफ़ा में पड़े रहकर

ज़ख़्म के भरने के दिन की कोई कल्पना करे

प्यार करना

और लड़ सकना

जीने पर ईमान ले आना मेरी दोस्त, यही होता है

धूप की तरह धरती पर खिल जाना

और फिर आलिंगन में सिमट जाना

बारूद की तरह भड़क उठना

और चारों दिशाओं में गूँज जाना –

जीने का यही सलीका होता है

प्यार करना और जीना उन्हे कभी नहीं आएगा

जिन्हें ज़िन्दगी ने बनिया बना दिया

जिस्म का रिश्ता समझ सकना,

ख़ुशी और नफ़रत में कभी भी लकीर न खींचना,

ज़िन्दगी के फैले हुए आकार पर फ़िदा होना,

सहम को चीरकर मिलना और विदा होना,

बड़ी शूरवीरता का काम होता है मेरी दोस्त,

मैं अब विदा लेता हूँ

 

तू भूल जाना

मैंने तुम्हें किस तरह पलकों में पाल कर जवान किया

कि मेरी नज़रों ने क्या कुछ नहीं किया

तेरे नक़्शों की धार बाँधने में

कि मेरे चुम्बनों ने

कितना ख़ूबसूरत कर दिया तेरा चेहरा कि मेरे आलिंगनों ने

तेरा मोम जैसा बदन कैसे साँचे में ढाला

तू यह सभी भूल जाना मेरी दोस्त

सिवा इसके कि मुझे जीने की बहुत इच्छा थी

कि मैं गले तक ज़िन्दगी में डूबना चाहता था

मेरे भी हिस्से का जी लेना

मेरी दोस्त मेरे भी हिस्से का जी लेना ।

                               ***

* पाश यूूँ तो क्रांतिधर्मी कवि के रूप में प्रसिद्ध हैं, किंतु उनकी प्रेम कविताओं में भी संवेदना का उत्कर्ष दिखाई देता है। 

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