माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी द्वारा 22 मार्च की शाम 5 बजे ताली, थाल और शंख बजाने का आह्वान करने से एक बार पुनः ध्वनि विज्ञान प्रासंगिक हो उठा है। वस्तुतः शंख की ध्वनि को विज्ञान में हानिकारक कीटाणुओं व विषाणुओं का नाशक माना गया है। भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस का मानना
उत्तराखंड में कुछ ऐसे पर्व मनाए जाते हैं, जो वरन क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ही नहीं वरन अंतर्राष्ट्रीय महत्व के हैं। हरेला और फूलदेई इन्हीं पर्वों में से हैं। ये पर्व प्रकृति संरक्षण और मानव मात्र की खुशहाली की कामना करते हैं। फूलदेई, छम्मा देई, दैंणी द्वार, भर भकार, य देई में हो,
वर्तमान में उत्तराखंड से प्रकाशित हो रहीं हिंदी साहित्यिक पत्रिकाएं 1. नवल- नवल त्रैमासिक साहित्यिक पत्रिका है, जो विगत 40 वर्षों से रामनगर ( नैनीताल ) से निरंतर प्रकाशित हो रही है। इसके संपादक हरि मोहन ‘मोहन’ हैं। पत्रिका में उत्तराखंड के साहित्य और संस्कृति से संबंधित सभी विधाओं की रचनाओं को स्थान दिया जाता
राजस्थान के हिंदी कवि नंदकिशोर आचार्य को ‘हिंदी’ में कविता संग्रह ‘छीलते हुए अपने को’ के लिए वर्ष 2019 का साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया है। हमारी ओर से नंदकिशोर जी को हार्दिक बधाई। साहित्यिक परिचय: नंदकिशोर आचार्य जन्म– 31 अगस्त 1945, बीकानेर (राजस्थान) भाषा– हिंदी विधाएँ– कविता, नाटक, आलोचना, उपन्यास, अनुवाद। मुख्य कृतियाँ- कविता
वर्तमान में कुमाउनी में प्रकाशित हो रही साहित्यिक पत्रिकाएं 1. पहरू- ‘पहरू’ कुमाउनी में प्रकाशित हो रही मासिक साहित्यिक पत्रिका है। यह विगत 12 वर्षों से डा. हयात सिंह रावत के संपादन में अल्मोड़ा से निरंतर प्रकाशित हो रही है। पत्रिका में साहित्य की प्रत्येक विधा को स्थान दिया जाता है। पत्रिका ने इन 12
निशा पुनेठा और उनकी ऐपण कला हुनरमंद व्यक्ति किसी भी परिचय का मोहताज नहीं होता। पिथौरागढ़ निवासी निशा पुनेठा का हुनर ही तो है, जिसके बल पर इनके द्वारा बनाए गए चित्र एकदम जीवंत प्रतीत होते हैं और इन लोककला आधारित चित्रों के माध्यम से ही निशा जी को उत्तराखंड में एक
ईशा आर्या और उसकी पिरुल की टोकरियाँ प्रतिभा और रचनात्मकता किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। राजकीय इंटर कालेज ल्वेशाल की नवीं की छात्रा ईशा आर्या ने अपनी बनाई पिरुल (चीड़) की टोकरियों से यह बात सच साबित की है। ईशा की बनाई पिरुल की टोकरियाँ न सिर्फ
पुतले हैं तैयार,चलो दशहरा देखने यार अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव भारत में ही नहीं वरन पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस प्रसिद्धि का प्रमुख कारण यहाँ बनाये जाने वाले रावण परिवार के पुतले हैं। यहाँ के पुतले कलात्मकता और भव्यता के साथ उन कलाकारों के द्वारा निर्मित होते हैं, जो
लोकपर्व खतुड़वा: पशुधन की समृद्धि का पर्व है ना कि किसी राजा की विजय का कुमाऊँ में लोक और जनमानस की समृद्धि की कामना हेतु अनेक पर्व मनाये जाते हैं। इन्हीं लोकपर्व में एक पर्व है खतड़ुवा। खतुड़वा पर्व यद्यपि पशुधन की समृद्धि की कामना हेतु मनाया जाता है,