कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

हरीतिमा: 100 पर्यावरणीय कविताओं का राष्ट्रीय संकलन ( HAREETIMA : A Collection of 100 environmental poetrys)


हरीतिमा: 100 पर्यावरणीय कविताओं का राष्ट्रीय संकलन ( HAREETIMA : A Collection of 100 environmental poetrys)


हरीतिमा (Hareetima)- राष्ट्रीय ई काव्य संकलन

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      हरीतिमा: इस राष्ट्रीय ई काव्य संकलन में देशभर के 100 कवियों की पर्यावरण पर केंद्रित कुल 100 कविताएँ। अनुक्रमणिका नीचे दी जा रही है-

१. आओ प्रकृति की ओर चलें- डॉ० विद्यासागर कापड़ी
२. लौटकर देखना तुम कभी गाँव में- मनोज कुमार सामरिया ‘मनु’
३. लौट के फिर ना आएंगे- नीरज पंत
४. हे मानव मत कर मनमानी-डॉ. राजेश कुमार जैन
५. हरा-भरा देश होवे- राज वीर सिंह
६. पर्यावरण बचाइए- दोहे- दिलीप कुमार पाठक ‘सरस’
७. आओ पर्यावरण सुधारें- डॉ. भगवत स्वरूप ‘शुभम’
८. लगाएं हम सब पेड़- २ कुंडलियाँ- आलोक कुमार यादव
९. कृत्रिम पर्यावरण संकल्प- कुमार जितेन्द्र ‘जीत’
१०. आज करो प्रण- मधु सक्सेना
११. प्रकृति जीवनदायनी है- एस. के. कपूर ‘श्री हंस’
१२. धरती दूषित हो गयी- २ कुण्डलिया- दिनेश श्रीवास्तव
१३. पर्यावरण बचाएँगे- रवि रश्मि ‘अनुभूति ‘
१४. हरियाली दो !- संजय बहीदार
१५. विश्व में ये संदेश फैलाएँ ब्रह्मानंद गर्ग “सुजल”
१६. वृक्षारोपण करें- डॉ. देशबन्धु भट्ट
१७. प्रकृति के वेश- सत्य प्रकाश सिंह 
१८. पावन धरती स्वच्छ हो- २ कुंडलियाँ अरविन्द सिंह ‘वत्स’
१९. हरियाली हो ! खुशहाली हो !! नरेश उनियाल
 २०. मित्र बनाएँ पेड़ को- दोहे मनोज कुमार खोलिया
२१. वृक्ष धरा पर मित्र हैं- दोहे मीना भट्ट
२२. शुद्ध रहे परिवेश- बी. एस. आनन्द
२३. स्वच्छ निर्मल सी बहती हवा- नीमा शर्मा ‘हंसमुख’
२४. प्रकृति देती संदेश- निक्की शर्मा रश्मि 
२५. वृक्ष की पीड़ा- हितेन प्रताप सिंह ‘तड़प’

२६. पेड़ काटना वर्जित- घनाक्षरी सच्चिदानंद तिवारी
२७. पर्यावरण है बचाना- दलवीर मोहन
२८. वसुधा काहे जल रही- दोहेे- नवीन कुमार तिवारी ‘अथर्व’
२९. गर्मी बढ़ती जा रही- दोहे- राजेश कुमार तिवारी ‘रामू’
३०. तेरा कर्जदार हूँ मैं- गीतांजलि वार्ष्णेय
३१. लगायें सभी वृक्ष- डॉ. प्रभा जैन ‘श्री’
३२. खुशहाली का ताज शज़र- प्रज्ञा शर्मा
३३. पेड़ बहुत लगाइए- डॉ. भावना दीक्षित ‘ज्ञानश्री’
३४. वृक्ष लगायें- शिव शंकर बोहरा ‘लाडनूं’
३५. आओ सब संकल्प लें- दोहे- शिव कुमार लिल्हारे ‘अमन’
३६. धरती माँ पुकारती- सुमति श्रीवास्तव
३७. हरियाली लाइए- नेमलता पटेल ‘नम्रता’
३८. हरियाली सुहायो है- छगन लाल गर्ग विज्ञ! 
३९. कटने लगे जो वन- तेजराम नायक
४०. हरा जग को बनाना है- संतोष जोशी ‘सुधाकर’
४१. वृक्ष यूं लगाइये- राजेन्द्र प्रसाद पटेल ‘रंजन’
४२. सूना-सूना जग दिखे- दोहेे- गुणवती गुप्ता ‘गार्गी’
४३. धरती माता है- राजकुमार जैसवाल
४४. वृक्ष होते जग मीत- नवीन कुमार भट्ट ‘नीर’
४५. मन का पर्यावरण- रामावतार ‘निश्छल’
४६. वृक्ष हमारे मित्र हैं- मुरारि पचलंगिया
४७. धरा हुई है निरुपाय- साधना कृष्ण
४८. आओ पेड़ लगाएँ- रुपेश कुमार
४९. नहा रही है चिड़िया रानी- बाबा बैद्यनाथ झा
५०. वृक्ष धरा की शान है- मन्शा शुक्ला

५१. धरती की पुकार- आरीनिता पांचाल 
५२. शुद्ध हवा जो चाहिए- मिथिलेश सिंह ‘मिलिंद’
५३. दिवस हरित हो- रचना उनियाल
५४. बचाएं पर्यावरण- माया शर्मा
५५. धरती माँ की पुकार- कवि जसवंत लाल खटीक
५६. पेड़- अंशु प्रिया अग्रवाल
५७. वृक्ष की पुकार- मीना तिवारी
५८. आकर देखो इन वन में- राकेश कुमार ‘हरियाणवी’
५९. सोते को जगाओ आज- के आर कुशवाह ‘हंस’
६०. हरी भरी रहे धरा- डा० भारती वर्मा ‘बौड़ाई’
६१. मत मनाओ एक दिन का दिवस- ज्योति सिंह
६२. पर्यावरण की बात- राजेश कुमार कौरव ‘सुमित्र’
६३. पेड़ हमारे हमसफर- उमा मिश्रा प्रीति
६४. वृक्षों को लगाओ खूब- कृष्णप्रेमी प्रमोद पाण्डेय
६५. हरीतिमा जीवन देती- सीमा मिश्रा 
६६. आओ पेड़ लगाएँ- कवि आशुतोष 
६७. आओ मिलकर वृक्ष लगायें- डॉ. बंदना चंद   
६८. पर्यावरण सांसों का नाम- इंदु वर्मा
६९. अब भी चेत जाइए- वंदना सोलंकी ‘मेधा’
७०. एक पेड़ लगाना- कुमुद श्रीवास्तव वर्मा ‘कुमुदिनी’
७१. पेड़ लगाओ- सीताराम राय 
७२. प्रकृति को दें नया रंग- मोनिका प्रसाद 
७३. बदल इंसान गये- उमाकान्त यादव ‘उमंग’
७४. पर्यावरण साँसों का नाम है- अनिता शरद झा ‘आद्या’ 
७५. पेड़ों की रक्षा चुनो- भावना ठाकर

७६. मानव भूला सद्व्यवहार- उषा सक्सेना
७७. शुद्ध हवा चाहिए- डाॅ. एन एल शर्मा ‘निर्भय’
७८. हरियाली बढ़ाओ- बजरंग लाल केजडी़वाल
७९. कर लो सोच विचार- दोहे- सच्चिदानंद तिवारी
८०. पेड़ करें पुकार- कलावती करवा
८१. धरती माँ पुकारती- सुमति श्रीवास्तव
८२. तरु ही अपना जीवन है- ऋतुदेव सिंह ‘ऋतुराज’
८३. चलो धरा को बचाएं- किरणप्रभा अग्रहरी गुप्ता
८४. पेड़ है पुत्र समान- नीरू मित्तल
८५. हरी भरी धरती है- शिव सन्याल
८६. घर-घर में संदेश पहुंचाएं- प्रेम बजाज
८७. खिलने दो- राम भगत नेगी 
८८. वृक्ष हमारे मित्र हैं- अमिता रवि दूबे
८९. वृक्षों से जीवन मिले- डाॅ0 महालक्ष्मी सक्सेना ‘मेधा’ 
९०. वृक्षों को हम बेटा मानें- डॉ.विजय नागपाल ‘नाविक’
९१. पृथ्वी जीवन का आधार है- उषा पांडेय
९२. चेत जा हे मानव- किरन पंत ‘वर्तिका’
९३. आओ साथी वृक्ष लगाएं- राजेश जोशी
९४. वृक्षारोपण सब करें- दोहे- रोशन बलूनी
९५. प्रकृति माता तुल्य- रीना वर्मा प्रेरणा 
९६. धरती की पुकार- स्नेहलता द्विवेदी ‘आर्या’
९७. पेड़ लगाएँ प्रेम से- दोहे- नफे सिंह योगी मालड़ा
९८. चारों ओर पेड़ लगायें- कृपाल सिंह शीला 
९९. वृक्षारोपण कीजिए- दोहे- आशीष पाण्डेय जिद्दी
१००. आओ मिलकर पेड़ लगायें- डा. मीना कौशल ‘प्रियदर्शिनी’

* पूरी पुस्तक आनलाइन यहाँ 👇👇 पर पढ़िए-

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