मेघदूतम् का कुमाउनी अनुवाद: कुसौबात (Translate book: Kusaubat)
अनुवादित पुस्तक: कुसौबात
Translate book: Kusaubat
साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी लेखक श्री केशवानंद जी की अनुवादित पुस्तक ‘कुसौबात’ के विषय में।
पुस्तक के विषय में-
कुसौबात
‘कुसौबात’ अनुवादक केशवानंद जोशी द्वारा अनूदित पुस्तक है। यह पुस्तक महाकवि कालिदास द्वारा विरचित संस्कृत महाकाव्य का कुमाउनी भावानुवाद है। इसका प्रकाशन 2013 में हुआ और इस पुस्तक का प्रकाशक भी स्वयं रचनाकार ही है। ‘मेघदूत’ दूतकाव्य की तरह ही ‘कुसौबात’ की कथा है। इसमें एक यक्ष है, जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है। निष्कासित यक्ष रामगिरि पर्वत पर निवास करता है। वर्षा ऋतु में उसे अपनी प्रेमिका की याद सताने लगती है। ‘कुसौबात’ में दक्षिण भारत के रामगिरि पर्वत से लेकर अलकापुरी तक का बहुत ही सहज, सरस, प्रवाहपूर्ण और काव्यात्मक वर्णन कवि ने किया है। यक्ष प्रिया के सौंदर्य का उपमाओं और बिम्बों से सुसज्जित चित्रण देखिए-
गुलाबी गुलाब जसा, सुंदर छैं गाल।
टिकुली बिंदुली पैरी, चमकी रौ भाल।
नौ पाणिकी धार जसी, भली छु अन्वार।
हिसाऊ का त्वापा जसी, स्योनिक सिंगार।
मुल-मुल हंसण वीक, घैल करी दीछ।
झील की काकड़ी जसी, उ ठाड़ि है रैछ।
वीका रंङ-ढंङ देखी, के कौंणें नी औन।
धन-धन मेरी सुवा, मैं कब देखौन।। ( पृष्ठ-47 )
किताब का नाम- कुसौबात
विधा- अनुवाद (पद्यात्मक)
अनुवादक- केशवानंद जोशी
प्रकाशक- केशवानंद जोशी, बागेश्वर।
प्रकाशन वर्ष- 2013
अनुवादक के विषय में-
श्री केशवानंद जोशी
अनुवादक केशवानंद जोशी का जन्म 25 दिसंबर, 1947 को कपकोट, बागेश्वर के जोशीखोला गाँव में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती पीतांबरी जोशी व पिता का नाम श्री ईश्वरदत्त जोशी था। आपने हिंदी से एम. ए. करने के बाद शिक्षण कार्य किया और प्रधानाध्यापक के पद से सेवानिवृत हुए।
जोशी जी की हिंदी में ‘मेघदूत सार’ और कुमाउनी में ‘कुसौबात’ पुस्तकें प्रकाश में आई हैं। आपकी पत्र-पत्रिकाओं में भी रचनाएँ प्रकाशित होती रहती हैं। लेखन, पठन-पाठन के अतिरिक्त सामाजिक कार्यों में भागीदारी आपका प्रमुख शौक है।
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