कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

प्यौलि, मई, 2020 अंक ( कोरोना जागरूकता विशेषांक, भाग-२ )

प्यौलि, मई, 2020 अंक ( कोरोना जागरूकता विशेषांक, भाग-२ )
Pyauli, May, 2020 issue ( Corona awareness issue, Part-2 ) 

प्यौलि, मई, 2020 ( कोरोना जागरूकता विशेषांक-2 )

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प्रिय पाठकों ! कुमाउनीकि मासिक ई-पत्रिका ‘प्यौलि’ क पंचू अंक आपूं सामणि छ। पछिल अंक चारि यो अंक ले कोरोना जागरूकता विशेषांक रूप में निकाली जैरौ। ये अंक में कुल २० कवियोंकि २० कुमाउनी कविता छन।  यों कविता त कोरोना कैं .. (डॉ० के० एस० रावत, पेज ०५), कलियुगा भगवान (नवीन भट्ट ०६), करो हकाहाक (नीरज पंत ०७), कोरोना काल में ब्या (राजेंद्र ढैला ०८), मैंसै औकात के छ (तारा पाठक ०९), जाग भुला जाग (भास्कर जोशी १०), कोरोनाल मचै है बबाल (सुधा जोशी ११), कोरोना हारलो (दिनेश भट्ट १२), अजीबै बिमारि (राजेन्द्र पंत १३), कोरोना बिमारी (रमेश रावत १४), अरे चीन! त्यर… (खुशाल सिंह खनी १५), कोरोना-कोरोना हैरै (कृपाल सिंह शीला १६), कोरोना (देवेंद्र सिंह मौरा १७), हिट भुला…. (देव सती १८), कोरोना भजून छ (हेमलता वर्मा २१), कोरोना दगै डरो ना (ममता नेगी २२), कस बखत आयो (ज्योतिर्मई पंत २३), कोरोना बै डरो ना ( रमेश हितैषी २४), खुशहाल हैजौ जन.. (भुवन बिष्ट २५), कोरोना योद्धाओं केें सलाम! ( डॉ. पवनेश ठकुराठी २७) छन। यों सबै कविता कोरोना जागरूकता पर आधारित छन। 

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