कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

दीपावली पर विशेष- 5 प्रेम कविताएँ

दीपावली पर विशेष-

        5 प्रेेम कविताएँ 


1. दीये ने जलने से इनकार कर दिया

इस बार दीपावली में

दीये ने जलने से इनकार कर दिया। 

उसे आदत हो चुकी थी

उनके नर्म हाथों के स्पर्श की। 

उसे आदत हो चुकी थी

उनके चेहरे की रोशनी को

खुद में समेट लेने की। 

उसे आदत हो चुकी थी उनकी। 

इसलिए इस बार दीपावली में

दीये ने जलने से मुझे

साफ इनकार कर दिया। 

2. मैं दीपावली मनाऊंगी

तुम नहीं हो संग

दीवाली कैसे मनाऊं

तुम बिन मेरे प्रियतम

देहरी कैसे सजाऊं। 

रात-दिन फिक्र तुम्हारी

बेचैन मुझे कर देती है

तुम बिन तन्हाई मुझे

नागिन-सी डस लेती है। 

जाने किस हाल में होगे

सीमा पर तैनात तुम

देश की रक्षा की खातिर

डटे हुए हे नाथ तुम। 

जीवन का ना लोभ तुम्हें

ना मोह तुम्हें घर-बार का

ना चिंता बच्चों की कोई

ना उल्लास कोई त्यौहार का। 

कोई बात नहीं प्रियतम

तुम जहाँ रहो बस कर्म करो

देश की सेवा की खातिर

समर्पित जीवन-धर्म करो। 

बात युद्ध की हो जब तो

दुश्मन को मार भगाना तुम

कदम हटाना कभी न पीछे

सीने पर गोली खाना तुम। 

सैनिक की अर्द्धांगिनी हूँ

मैं दीपावली मनाऊंगी

तुम्हारी विजय की खातिर

सौ दीये मैं जलाऊंगी। 

3. तुम्हारी अदा के आगे खुदा की इबादत क्या है 

माना कि रोशनी दीयों से आती है

अगर तुम हो तो दीये जलाने की जरूरत क्या है। 

शरारत माना कि बच्चों की अमानत है

मगर तुम्हारी दो नजरों के आगे बच्चों की शरारत क्या है। 

लोग बेफिजूल जाते हैं मंदिर, मस्जिद… 

मैं तो कहता हूँ 

तुम्हारी अदा के आगे खुदा की इबादत क्या है।

4. दीवाली क्या मनाऊं, तुझे याद कर लेता हूँ

दीया क्या जलाऊं

तेरा चेहरा देख लेता हूँ

फुलझड़ी से क्या खेलूँ

तेरी आवाज सुन लेता हूँ। 

पटाखे फोड़ना तो

मेरी फितरत नहीं है

और कुछ करने की भी

हसरत नहीं है। 

घर क्या सजाऊं

तेरा श्रृंगार कर लेता हूँ

अंधेरे में चांद-तारों से

बात कर लेता हूँ

दीवाली क्या मनाऊं

तुझे याद कर लेता हूँ। 

5. दीया मुहब्बत का जलता रहे

दीवाली होती रहे 

दीया मुहब्बत का जलता रहे। 

नफरत की जब भी, आने लगे बू

हृदय में अंकुर प्यार का मचलता रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे। 

दुखों का अंधेरा, जीवन से छंटे

सुख का सूरज टहलता रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे। 

आदमी से परिचय, आदमी का हो

रिश्तों में सदा ही तरलता रहे

दीया मुहब्बत का जलता रहे। 

***

     आपके जीवन में खुशियों का उजाला हो। आप सभी को हमारी ओर से दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ….

 ©Dr. Pawanesh

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