कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

जानिए बहादुर बोरा श्रीबंधु कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार और कथाकार मोहन चंद्र कबडवाल के विषय में

वर्ष 2021 के बहादुर बोरा श्रीबंधु कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार से पुरस्कृत होंगे मोहन चंद्र कबडवाल

      बागेश्वर, भगवान बागनाथ की नगरी में आगामी 25, 26, 27 दिसम्बर 2021 को आयोजित हो रहे 13वें राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैै। इसी बीच कुमाउनी भाषा सम्मेलन को लेकर दूसरी बैठक आयोजित की गई और सम्मेलन में भोजन, आवास, यातायात, स्टेशनरी आदि की समुचित व्यवस्था हेतु समूहों का गठन किया गया। इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण फैसले लिए गये। 

  • 13वें राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन को लेकर आयोजित हुई दूसरी बैठक। 
  • भोजन, आवास, यातायात, स्टेशनरी आदि की समुचित व्यवस्था हेतु किया गया समूहों का गठन। 
  • कुमाउनी पुस्तकालय की स्थापना के लिए चयनित हुई देवकी लघु वाटिका। 
  • अतिथियों हेतु की जायेगी निशुल्क आवास की व्यवस्था। 
  • हुई बहादुर बोरा श्रीबंधु कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार 2021की घोषणा।

     कार्यक्रम में घोषणा हुई कि वर्ष 2021 का बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार कुमाउनी कथाकार मोहन चंद्र कबडवाल को दिया जायेगा। 

      इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक वृक्ष प्रेमी श्री किशन मलड़ा, डायट बागेश्वर के वरिष्ठ प्रवक्ता डॉ0 कुन्दन रावत, गरूड़ महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो0 हेम दुबे, साहित्याचार्य डॉ0 गोपाल जोशी, केशवानन्द जोशी, जगदीश दफौटी, रेडक्रास सचिव आलोक पांडेय, सामाजिक कार्यकर्ता गौरव दास, मनोज ओली, वरिष्ठ साहित्यकार बोरा जी, रमेश पर्वतीय, बृजेश जोशी, भाष्कर नेगी, छात्र नेता आकाश कुमार आदि प्रबुद्ध जन उपस्थित रहे।

 बहादुर बोरा श्रीबंधु कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार 

  वर्ष 2021 का बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार कुमाउनी कथाकार मोहन चंद्र कबडवाल को दिया जायेगा। श्री कबडवाल को यह पुरस्कार कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा व ‘पहरू’ मासिक पत्रिका द्वारा आगामी 25, 26 व 27 दिसंबर, 2021 को बागेश्वर में आयोजित होने वाले तीन दिनी राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन में दिया जायेगा।   

       

पुरस्कार परिचय-  

      बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार कुमाउनी के किसी एक श्रेष्ठ कथाकार को प्रतिवर्ष दिया जाता है। यह पुरस्कार वर्ष 2012 में बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कहानी पुरस्कार नाम से शुरू हुआ। वर्ष 2018 तक यह पुरस्कार कुमाउनी में कहानी लेखन के लिए दिया जाता था, लेकिन वर्ष 2019 से इस पुरस्कार का नाम बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार कर दिया गया है।

     अब यह पुरस्कार कुमाउनी में कहानी और उपन्यास किसी भी विधा में लेखन करने वाले कथाकार को दिया जाता है। इसमें पुरस्कार के रूप में पांच हजार एक सौ रू० की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। वस्तुतः बहादुर बोरा कुमाउनी के प्रारंभिक कथाकार रहे हैं। यही कारण है कि उन्हीं के नाम पर इस पुरस्कार का नामकरण किया गया है। 

      वर्ष 2012 से अब तक डॉ. योगेन्द्र प्रसाद जोशी ‘नवल’ (2012), जगदीश जोशी (2013), महेंद्र ठकुराठी (2014), डॉ. दीपा कांडपाल (2015), खुशाल सिंह खनी (2016), भैरवदत्त पांडे (2017), पवनेश ठकुराठी (2018), गिरीश चंंद्र बिष्ट ‘हंसमुख’ (2019) आदि कथाकारों  को यह पुरस्कार प्राप्त हो चुका है।

      यदि आपने भी लिखी हैं कुमाउनी में कहानी और उपन्यास की पुस्तकें तो, आप भी भेज सकते हैं अपनी प्रविष्टि अपने परिचय और साहित्य के साथ, नीचे दिए पते पर- 

डॉ० हयात सिंह रावत
संपादक- ‘पहरू’ मासिक
सुनारी नौला, अल्मोड़ा ( उत्तराखंड)-263601

वर्ष 2021 के पुरस्कृत कथाकार का परिचय-

मोहन चंद्र कबडवाल

      बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार से इस वर्ष पुरस्कृत होने वाले कथाकार मोहन चंद्र कबडवाल का जन्म 28 जुलाई, 1945 को नैनीताल जनपद के सतोली गाँव में हुआ था। आपकी माता का नाम श्रीमती नंदी देवी और पिता का नाम श्री लालमणि कबडवाल था। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती चंद्रा देवी हैं। आपने शिक्षण कार्य किया और सेवानिवृत्ति के पश्चात् लेखन को समय देने लगे। 

     श्री कबडवाल के अब तक हिंदी में 3 कहानी संग्रह बचपन के बाद, मन की आंखें, मरने की दौड़ प्रकाशित हो चुके हैं। कुमाउनी में दो कविता संग्रह हिमगीत और मेरि नानि कविता शीर्षक से प्रकाशित हुए हैं। साथ ही एक व्यंग्य संग्रह ‘यौ हाव छ भया’ (2015) प्रकाशित हुआ है। आपकी कहानियाँ पहरू मासिक पत्रिका में निरंतर प्रकाशित होती रहती हैं। पहरू के जून, 2021 अंक में आपकी कहानी ‘कुच्चीबाज सासु’ और अक्टूबर, 2020 अंक में प्रकाशित ‘बाबुक मन’ नवीन प्रकाशित कहानियाँ हैं। कबडवाल जी की कहानियों में कुमाउनी समाज और संस्कृति के स्वच्छ चित्र अंकित हुए हैं। 

        श्री कबडवाल को साहित्य सेवा हेतु उत्कृष्ट कहानी लेखन पुरस्कार (2008), कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान (2014) आदि सम्मानों से नवाजा जा चुका है। 

बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार -2021 से पुरस्कृत होने पर हमारी ओर से आपको हार्दिक बधाइयाँ…..

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