कुमाउनी की पहली पत्रिका अचल की महत्वपूर्ण जानकारियाँ और उसके अंकों की तस्वीरें
कुमाउनी की पहली पत्रिका अचल की महत्वपूर्ण जानकारियाँ और उसके अंकों की तस्वीरें
कुमाउनी की पहली पत्रिका- ‘अचल’
कुमाउनी की पहली पत्रिका अचल का प्रकाशन जीवन चंद्र जोशी के संपादकत्व में फरवरी, 1938 ई० में अल्मोड़ा से शुरू हुआ और यह तीन वर्षों तक यानि 1940 तक प्रकाशित हुई। इसका अंतिम अंक जनवरी, 1940 का अंक था। यह पत्रिका मूलतः मासिक थी, किंतु इसका प्रकाशन श्रेणियों के अंतर्गत किया गया। पत्रिका में ‘वर्ष’ और ‘अंक’ लिखने की परम्परा निभाने की बजाय नया प्रयोग किया गया। ‘अचल’ को पहाड़ मान कर वर्ष के लिए ‘श्रेणी’ और अंक के लिए ‘श्रृंग’ लिखा गया यानि ‘वर्ष-एक, अंक- एक’ की बजाय ‘श्रेणी-एक, श्रृंग-एक’ लिखा गया। फरवरी, 1938 से जनवरी, 1940 तक दो वर्षों में ( श्रेणी-एक के तहत बारह एवं श्रेणी-दो के तहत भी बारह) कुल 24 श्रृंग (अंक) प्रकाशित हुए, इनमें सम्भवत: दो श्रृंग संयुक्तांक के रूप में प्रकाशित हुए।
अचल के प्रकाशन स्थल
अचल पत्रिका के पहले 2 ‘श्रृंग’ (अंक) अल्मोड़ा के ‘इंदिरा प्रेस’ से प्रकाशित हुए, किंतु विवाद होने के कारण इसके अगले अंकों का प्रकाशन नैनीताल के ‘किंग्स प्रेस’ से शुरू हुआ।
अचल का संपादन
अचल पत्रिका के मुख्य संपादक जीवन चंद्र जोशी थे। इनके अलावा पत्रिका में तारादत्त पांडे ने सहकारी संपादक तथा धर्मांनंद पंत ने प्रबंध संपादक के रूप में कार्य किया। अचल पत्रिका में साहित्य की कविता, कहानी, लेख, लघुकथा और लोकसाहित्य विधाओं की रचनाएँ प्रकाशित होती थीं।
सुमित्रानंदन पंत और अचल
समाज व रचनाकारों द्वारा अपेक्षित सहयोग न मिलने के वावजूद जोशी जी ने अनेक रचनाकारों को कुमाउनी लिखने व समाज को कुमाउनी पढ़ने के लिए प्रेरित किया। हिंदी कवि सुमित्रानंदन पंत को भी उन्होंने अपनी में बोली लिखने के लिए कहा। बार-बार आग्रह के परिणामस्वरूप सुमित्रानंदन पंत ने अपनी पहली और एक मात्र कुमाउनी कविता ‘बुरांश’ शीर्षक से ‘अचल’ के लिए लिखी- “सार जंगल में त्वे जस क्वे नहां रे, बुरांश…..।” इस प्रकार पंत की एकमात्र कुमाउनी कविता ‘बुरांश’ भी सर्वप्रथम अचल में प्रकाशित हुई थी।
गोविंद बल्लभ पंत और अचल
गोविंद बल्लभ पंत अचल के संपादक श्री जोशी जी के बाल सखा थे। इसीलिए उन्होंने पंतजी से अचल के लिए चित्र बनाने का आग्रह किया। पंत जी ने मित्र का आग्रह तुरंत स्वीकार किया और अचल के प्रवेशांक का मुख पृष्ठ तैयार हुआ, जिसे बाद के अंकों में भी प्रयोग किया गया। इस चित्र में पर्वत श्रृंखलाएं, ध्रुव तारा, वृक्ष आदि बनाए गए हैं।
अचल और हैड़ाखान बाबा व
सोमवारी बाबा
तत्कालीन समय के बहुचर्चित हैड़ाखान बाबा और सोमवारी बाबा पर सबसे पहले ‘अचल’ ने विस्तार से सामग्री छापी थी, जो बाद में उन पर पुस्तक लिखे जाने में अत्यधिक सहायक हुई। इसके अलावा प्रख्यात रूसी चित्रकार निकोलाई रोरिख के हिमालय सम्बंधी लेखों का कुमाउनी अनुवाद भी उसमें प्रकाशित किया गया।
अचल के कुछ लेखक
अचल पत्रिका में श्यामाचरणदत्त पंत, जयंती पंत, रामदत्त पंत, भोलादत्त पंत ‘भोला’, बचीराम पंत, दुर्गादत्त पाण्डे, त्रिभुवनकुमार पाण्डे, लीलाधर उप्रेती, अनूप शर्मा, आत्माराम शर्मा, प्रकाश चंद्र, नंदराम भट्ट, स्वामी शिवानंद आदि लेखकों ने रचनाएँ लिखीं।
‘अचल’ पत्रिका की कुुछ तस्वीरें
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