कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी कामायनी ( Translate book: Kumaun Kamayani )

अनुवादित पुस्तक: कुमाउनी कामायनी
Translate book: Kumaun Kamayani

साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी के महत्वपूर्ण रचनाकार श्री मोहन चंद्र जोशी जी की अनुवादित पुस्तक ‘कुमाउनी कामायनी’ के विषय में।

पुस्तक के विषय में-

कुमाउनी कामायनी 

          ‘कुमाउनी कामायनी’ गरूड़ के प्रसिद्ध रचनाकार मोहन चंद्र जोशी जी द्वारा रचित पुस्तक है। यह पुस्तक सुप्रसिद्ध हिंदी कवि जयशंकर प्रसाद के हिंदी महाकाव्य ‘कामायनी’ का कुमाउनी अनुवाद है। प्रसाद की कामायनी का प्रकाशन 1936 ई० में हुआ था। जोशी जी की कुमाउनी कामायनी के प्रथम संस्करण का प्रकाशन 2014 में हुआ है। इस पुस्तक का प्रकाशन ज्ञानार्जन प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स, गरूड़, बागेश्वर से हुआ है। 

      कामायनी की तरह कुमाउनी कामायनी में भी कुल 15 सर्ग हैं-1. चिन्ता, 2. आशा, 3. श्रद्धा, 4. काम, 5. वासना, 6. लज्जा, 7. कर्म, 8. ईर्ष्या, 9. इडा (तर्क, बुद्धि), 10. स्वप्न, 11. संघर्ष, 12. निर्वेद (त्याग), 13. दर्शन, 14. रहस्य, 15. आनन्द। इसका पहला सर्ग चिंता और अंतिम सर्ग आनंद है। प्रत्येक सर्ग के अंत में जोशी जी ने हिंदी अनुवाद को भी शामिल किया है। कुमाउनी कामायनी का प्रारंभिक सर्ग-


पुस्तक का नाम- कुमाउनी कामायनी
विधा- अनुवाद
अनुवादक- मोहन चंद्र जोशी
प्रथम संस्करण- 2014
प्रकाशक- ज्ञानार्जन प्रिंटर्स एंड पब्लिशर्स, गरूड़, बागेश्वर।


अनुवादक के विषय में-

मोहन चंद्र जोशी 

       कवि, अनुवादक मोहन चंद्र जोशी का जन्म 5 जून, 1967 को गरूड़ (बागेश्वर) के दर्शानी गाँव में हुआ था। इनकी माता जी का नाम श्रीमती दुर्गा देवी और पिता जी का नाम श्री परमानंद जोशी था। इनकी धर्मपत्नी श्रीमती गीता जोशी हैं।

       मोहन जोशी जी की थुपुड़ ( कुमाउनी कविता संग्रह, 2012), हुक धैं रै ( कुमाउनी कविता संग्रह, 2013), मोहन गीता ( कुमाउनी गीत संकलन), कुमाउनी सुंदरकांड ( अनुवाद), कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता ( अनुवाद, 2014), कुमाउनी कामायनी ( अनुवाद, 2014), कुमाउनी श्रीरामचरितमानस ( अनुवाद ), केवल आपके लिए ( हिंदी काव्य ), रामलीला नाटक ( नाटक), सोमनाथ गाथा ( काव्य) आदि पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। आपकी रचनाएँ आकाशवाणी से भी प्रसारित होती रहती हैं। आप कुमाउनी साहित्य व संस्कृति के प्रति पूर्णतया समर्पित हैं। 

Share this post

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!