कुमाउनी कविता संग्रह: भारत माता (Kumauni Poetry Collection: Bharat Mata)
कुमाउनी कविता संग्रह: भारत माता
Kumauni Poetry Collection: Bharat Mata
आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी कविता संग्रह ‘भारत माता’ के विषय में। ‘भारत माता’ कुमाउनी के ऐसे रचनाकार का काव्य संग्रह है, जिनका कुमाउनी भाषा को कुमाऊँ विश्वविद्यालय के सोबन सिंह जीना परिसर,अल्मोड़ा में पठन-पाठन हेतु उपलब्ध कराने में योगदान रहा है। आइये जानते हैं पुस्तक और रचनाकार के विषय में।
कविता संग्रह के विषय में-
भारत माता (कविता संग्रह)
‘भारत माता’ डॉ. शेर सिंह बिष्ट द्वारा रचित कविता संग्रह है। इस कविता संग्रह के तीसरे संस्करण का प्रकाशन अविचल प्रकाशन, बिजनौर से वर्ष 2013 में हुआ है। 111 पृष्ठों की इस हार्ड बाउंड पुस्तक का मूल्य 150 ₹ है। इस कविता संग्रह में कुल 26 कविताएँ संगृहीत हैं। संग्रह की शीर्षक कविता भारत माता है, जो प्राचीन काल से वर्तमान तक देश की स्थिति और उसके संघर्षों का चित्रण करती है। डॉ. बिष्ट ने मानवीय प्रवृत्तियों, राजनीति, पर्यावरण, देश प्रेम, सामाजिक बदलाव, प्रेम आदि को अपनी कविताओं का विषय बनाया है। संग्रह की अंतिम छह कविताएँ भारत की ऋतुओं पर केंद्रित हैं। कविताओं का भाव व कला पक्ष सबल है। इस संग्रह की ‘भाषणोंक आफर’ कविता की कुछ पंक्तियाँ दी जा रही हैं-
भाषणोंक आफर खोलि राखै
समस्याओंक भान कारि ल्हियो
धार-टुक शब्दोंक तिख बणै
तरकशोंक भकार भरि ल्हियो।
टुट फुट धार कुनीनी जंग लागी
जतुक छन दिमागकि कुटड़ि पन
ततै-गलै थेचि पिटि नौंई बणै
बखत पर सब थुपुड़ै ल्हियो। ( पृ० 37 )
किताब का नाम- ‘भारत माता’
विधा- कविता
रचनाकार- डॉ. शेर सिंह बिष्ट
प्रकाशक- अविचल प्रकाशन, बिजनौर
रचनाकार के विषय में-
डॉ० शेर सिंह बिष्ट
प्रो. शेर सिंह बिष्ट का जन्म 10 मार्च, 1953 को अल्मोड़ा जनपद के भनोली गाँव में हुआ। आपने कुमाऊं विश्वविद्यालय, नैनीताल से पी.एच.डी. और डी.लिट् की उपाधियां प्राप्त कीं। आपने कुमाऊँ विश्वविद्यालय में हिंदी आचार्य, हिंदी विभागाध्यक्ष आदि पदों को सुशोभित किया। आपके कुमाउनी तथा हिन्दी में शैक्षिक एवं साहित्यिक विषयक दो दर्जन से अधिक ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं।
आपकी अधिकांश पुस्तकें शोध और समालोचना पर केंद्रित हैं। ध्वनि सिद्धांत, कुमाउनी, सुमित्रानंदन पंत के साहित्य का ध्वनिवादी अध्ययन, साहित्य और संस्कृति: चिंतन के नए आयाम, पंत साहित्य और गांधीवाद, कुमाउनी हिमालय: समाज एवं संस्कृति, मध्य हिमालयी समाज, संस्कृति एवं पर्यावरण आदि आपकी प्रमुख शोधपरक पुस्तकें हैं।
कुमाउनी में आपने ‘भारत माता’, ‘इजा’ और ‘उचैंण’ तीन कविता संग्रह और ‘मन्खि’ और ‘भारतक भविष्य’ शीर्षक से दो निबंध संग्रह लिखे हैं। इसके अलावा शब्दकोश निर्माण में भी आपका योगदान रहा है।
आपकी उल्लेखनीय साहित्यिक सेवाओं के लिए आपको विभिन्न संस्थाओं तथा अकादमियों द्वारा यू.जी.सी. कैरियर अवार्ड (1993-96), सुमित्रानन्दन पंत नामित पुरस्कार (2001), उत्तराचंल रत्न अवार्ड (2003), आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी सम्मान (2003), आचार्य नरेन्द्र देव अलंकार सम्मान, भारत ज्योति अवार्ड (2006), विवेक गोयल साहित्य पुरस्कार, मोहन उप्रेती शोध समिति सम्मान, डॉ. गोविन्द चातक सम्मान आदि पुरस्कार व सम्मान प्राप्त हो चुके हैं।
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