कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

ईशा आर्या

ईशा आर्या और उसकी पिरुल की टोकरियाँ

        प्रतिभा और रचनात्मकता किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। राजकीय इंटर कालेज ल्वेशाल की नवीं की छात्रा ईशा आर्या ने अपनी बनाई पिरुल (चीड़) की टोकरियों से यह बात सच साबित की है। 

       ईशा की बनाई पिरुल की टोकरियाँ न सिर्फ उपयोगी हैं, बल्कि आकर्षक और चकित करने वाली भी हैं। वस्तुतः ईशा ने अपनी इस रचनात्मकता के माध्यम से युवा पीढ़ी को एक राह भी दिखाई है। उसने बताया है कि रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं होती। ईशा की बनाई टोकरियाँ उत्तराखंड को प्लास्टिक मुक्त बनाने की राह में भी उपयोगी साबित हो सकती हैं। इसके अलावा ये टोकरियाँ हमें अपने पर्यावरण और प्राकृतिक परिवेश से जुड़ने की प्रेरणा तो देती ही हैं, साथ ही हमें अपने प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग करने के लिए भी प्रेरित करती हैं। 

      ईशा की रचनात्मकता बढ़ती रहे। हमारी ओर से ईशा को उज्जवल भविष्य की हार्दिक शुभकामनाएँ। 

 

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