कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

अनुवादित पुस्तक: कुमाउनी महाभारत ( Translate book: Kumauni Mahabharat )

अनुवादित पुस्तक: कुमाउनी महाभारत
Translate book: Kumauni Mahabharat 

साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी लेखिका श्रीमती शांति साह की अनुवादित पुस्तक ‘कुमाउनी महाभारत’ के विषय में। 

पुस्तक के विषय में-

कुमाउनी महाभारत

    ‘कुमाउनी महाभारत’ श्रीमती शांति साह द्वारा अनुवादित पुस्तक है। इस पुस्तक का प्रकाशन सन् 1998 में हुआ। इस पुस्तक की प्रकाशक भी स्वयं लेखिका हैं। इस पुस्तक में लेखिका ने महाभारत के संपूर्ण 18 पर्वों का गद्यात्मक अनुवाद किया है। पुस्तक में पहले आदि पर्व से अंतिम 18वें स्वर्गारोहण पर्व तक का अनुवाद है। पुस्तक में महाभारत के रचनाकाल, कथा महात्म्य, श्रवण विधि पर भी प्रकाश डाला गया है। वन पर्व के अंतर्गत ‘पांडवन की उत्तराखंड यात्रा’ शीर्षक युक्त इनकी अनुवाद शैली का एक उदाहरण नीचे दिया जा रहा है-

    वृहदाश्व ऋषि का आदेशानुसार सब पांडव लोमश ज्यू का नेतृत्व में पर्वत पर्वत घूमी। बदरीकाश्रम वांवट कैलाश पर्वत कि चढ़ाई चढ़ना लागी। युधिष्ठिर चढ़ते चढ़ते कूनी- भाई मैं अर्जुन कन देखना की इच्छा लै तुमरा साथ सुरम्य बन तीर्थ और सरोवरन में घूमते हुवे अब मैं कन थकान जसी होई गेछौ। चिंता व्यक्त करते हुए युधिष्ठिर अघाड़ी बढ़ते रई।….. बलराम कूनी वास्तव में युधिष्ठिर पूर्ण रूप लै धर्मराज छन। कृष्ण ज्यू लग उनरी बात कन उचित ठहराई समर्थन करनी। ( पृष्ठ-105)


किताब का नाम- कुमाउनी महाभारत
विधा- अनुवाद (गद्यात्मक) 
अनुवादक- श्रीमती शांति साह
प्रकाशक- श्रीमती शांति साह, पौड़ी गढ़वाल। 
प्रकाशन वर्ष- 1998


अनुवादक के विषय में-

श्रीमती शांति साह

       श्रीमती शांति साह का जन्म 1933 ई० में अल्मोड़ा में हुआ। इनकी माता जी का नाम श्रीमती खष्टी देवी और पिताजी का नाम श्री धनी लाल साह था। इन्होंने एम. ए. हिंदी से किया और आगरा विश्वविद्यालय से बीटी की उपाधि हासिल की। ‘कुमाउनी महाभारत’ इनकी पहली पुस्तक है। आकाशवाणी से भी इनकी रचनाओं का प्रसारण होता है। धार्मिक प्रवृत्ति की श्रीमती साह भ्रमण की भी शौकीन हैं। 

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