कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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पहाड़ की सौगात: लिंगुड़े की सब्जी

पहाड़ की सौगात: लिंगुड़े की सब्जी       उत्तराखंड न सिर्फ एक ऐसा राज्य है जहां प्राकृतिक सौंदर्य अपनी विशेषताएँ लिए हुए है, बल्कि यहाँ अनेकानेक जड़ी बूटियों के भंडार भी मौजूद हैं। इन्हीं में से एक है चौमास (बरसात) के दिनों यानि आजकल मिलने वाली प्रसिद्ध सब्जी लिंगुड़ा (linguda)।      लिंगुड़ा का

पहाड़ों में इन दिनों: असौज लागि रौ रे भुला

 पहाड़ों में इन दिनों: असौज लागि रौ रे भुला        “ए ब्वारि ऊनी किलै नि खड़्यूनी ! दिन भरि टी० भी० चैबेर हुछई ! असौज लागि रौ। तौ टी० भी०- सी० भी० खित भ्यार। धान चुटन हैरईं। तुकैं टी०भी० हैरै।” सासुल ब्वारि थैं कौ।        ब्वारिल टी०वी० बटन बंद करौ

हम बच्चे हैं हमेें मुस्कुराने दो

हम बच्चे हैं हमेें मुस्कुराने दो एक लंबा अरसा बीत गया किसी बच्चे को नहीं देखे हुए। आजकल के बच्चों को बच्चा कौन कहेगा भला। तीन साल की उम्र में ही सयाने हो जाते हैं। ऐसी ऐसी बातें करने लगते हैं कि बड़े भी दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो जाते हैं। आजकल के बच्चों
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