एक असफल प्रेमी की प्रेमकथा आज मैं पूरे बत्तीस साल का हो गया हूँ। साथ-ही- साथ एक अकलमंद और सयाना लौंडा भी। इसलिए आज मैं पूरे होशो-हवास में यह निर्णय ले रहा हूँ कि आज के बाद मैं किसी कुंवारी लड़की की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखूंगा और ना ही किसी कन्या के सामने प्रणय
नीली साड़ी वाला चांद जब मैं छोटा बच्चा था तो रात को मां से चांद दिखाने की जिद किया करता था। माँ मना करती तो मैं रोने लगता था। मजबूर होकर माँ को चांद दिखाने मुझे छत पर ले जाना पड़ता था। तब माँ मेरा मुंह चांद की ओर करके गुनगुनाती थी- “चंदा मामा आ
मुझे वह चुलबुली लड़की याद आती है मुझे स्कूल के दिनों की चौथे नंबर की बैंच पर बैठने वाली वह चुलबुली लड़की याद आती है। उसका हंसना उसका रोना पन्ने पलटते हुए उसका मुड़-मुड़ पीछे देखना उसका हर अंदाज उसकी हर बात याद आती है मुझे वह चुलबुली लड़की याद आती है।