‘कोरोना’ पर कुमाउनी के 7 कवियों की कविताएँ 1. सबूंल घर में रून छ कोरोनावायरस हरून छ सब लोगों ले घर में रून छ साफ सफाई को राख् ध्यान घर में करो पुज पाठ ध्यान कौतिक म्याला कुछ दिन बंद छन अनुशासन और धैर्ज ले कोरोनावायरस हरूंल अघिल कै त्यार बार मनूल पैंली हमार पुर्खा
ज्योति तिवारी काण्डपालकि कुमाउनी कविता १. मीं एक चेलि छीं एक तरफ चेलि अंतरिक्ष में पुंज गेईं। वैज्ञानिक ले मंगलयान, तीसर चन्द्रयानक् तैयारी में छन । डीएम, एसपी, लेफ्टिनेंट, सचिव पदों पर लै चेलि छन। यां तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश पद तक पुंज गईं। हर रोज अघिल
देव सतीकि कुमाउनी कविता १. पहाड़ै बात हरि भरि सारा म्येरि पहाड़ों की धारा दिन बानरूल रात सुवरूक उज्जाड़ा गर्मिक दिनों में पाणिक मारमारा खेत बाजि हैगीं हरि भरि सारा के कुनू ददा आपुण बाता दिन नै चैना नींद नै राता जंगोव कटिगी महल बनिगी आब नै रैगी खेत सीढ़ीदारा धोंतिले
भुवन बिष्टकि कुमाउनी कविता १. सरस्वती बंदना दैण हैजा माता मेरी सरस्वती, दिये माता भौल बुलाण भलि मति। एक हाथ किताब त्यौर, एक हाथ छौ वीणा। मैं बालक अबोध अज्ञानी, आयूँ मैं तेरी शरणा।