September 3, 2019
हर प्रेम मांगता है
हर प्रेम मांगता है कांटों के घेरे जख्मों के फेरे पर्वत, सागर, तूफान लांघता है। कभी त्याग के झौंके कभी तप का आसरा कभी बलिदानी पर हृदय टांगता है। जी हां, दर्द, दुख और बिछुड़न हर प्रेम मांगता है। © Dr. Pawanesh Share this post