September 2, 2019
तेरे प्रेम में त्रिज्या से व्यास बन गई हूँ
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तेरे प्रेम में त्रिज्या से व्यास बन गई हूँ हरी-भरी धरती थी अब तो नीला आकाश बन गई हूँ तेरे प्रेम में ओ पगले ! त्रिज्या से मैं व्यास बन गई हूँ। तू क्या जाने मेरे जीवनवृत्त की एकमात्र परिधि तू ही है अब बावली होकर तेरे दिल की आनी-जानी सांस बन गई