January 17, 2020
संतोष जोशी की कुमाउनी कविताएँ

संतोष जोशीकि कुमाउनी कविता १. डोईण दे अरे डोई छौं मैं डोइण दे यौ देशौं वु देशु बहिण दे। पौ भरि जै ज्यूनि यौ भागि मायालो पराण तीस बुझिण दे। अरे डोई छौ मैं डोईण दे। क्वाखनि जौस लुकिछैं किलै घुनाओनि मुनई टेक्यौं छै किलै निकौव भतेर बै भ्यार