September 3, 2019
भरी दुपहरी में मैंने इक चांद देखा
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भरी दुपहरी में मैंने इक चांद देखा अंबर देखा, बादल देखे तारों का उन्माद देखा भरी दुपहरी में मैंने इक चांद देखा। पानी के बुलबुले-सी उसकी हंसी धीरे से मेरे कानों में धंसी कुछ ही पलों बाद मैंने अरमानों का झुंड टहलता आबाद देखा। भरी दुपहरी में मैंने इक चांद देखा। सिक्के