September 7, 2019
जिंदगी का हश्र

जिंदगी का हश्र जिंदगी-जिंदगी कहता रहा, मगर जिंदगी को कभी जान न पाया। करता रहा दुनिया की बातें, मगर खुद को कभी पहचान न पाया। कभी दौलत के पीछे कभी शोहरत के पीछे हर पल-हर दिन भागता रहा पर मुस्कुराने का कोई सामान न पाया। जिंदगी- जिंदगी कहता