पूरनचंद्र कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ 1. इज है ठुल को ?  न सरग न पताव न तीरथ न धाम, इज है ठुल क्वे और न्हैति मुकाम। आपूं स्येतीं गिल म हमूकैं स्येवैं वबाण, हमार ऐरामा लिजी वीक ऐराम हराण। इज क कर्ज है दुनिय में क्वे उऋण नि है सकन, आंचव में पीई दूद क