ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं- राष्ट्रकवि दिनकर अंग्रेजी नववर्ष पर राष्ट्रकवि श्रद्धेय रामधारी सिंह ‘दिनकर’ की कविता:- ये नव वर्ष हमें स्वीकार नहीं, है अपना ये त्यौहार नहीं, है अपनी ये तो रीत नहीं, है अपना ये व्यवहार नहीं। धरा ठिठुरती है शीत से, आकाश में कोहरा गहरा है, बाग़ बाज़ारों की सरहद पर,