कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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न्यौलि विधा की एकमात्र पुस्तक: न्यौलि सतसई

    प्रिय पाठकों, आज हम आपको ले चलते हैं उत्तराखंड के लोक साहित्य की ओर और चर्चा करते हैं लोक साहित्य की विधा ‘न्यौली’ से संबंधित पुस्तक ‘न्यौली सतसई’ की। पुस्तक के विषय में- न्यौली सतसई         ‘न्यौली सतसई-१’ पुस्तक के लेेेेखक डॉ. देव सिंह पोखरिया हैं। इस पुुुस्तक का प्रकाशन

कुमाउनी- गढ़वाली लोकभाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में स्थान मिले- डॉ. रावत

कुमाउनी-गढ़वाली को संविधान की 8वीं अनुसूची में स्थान मिले- डॉ. रावत *12 वें तीन दिवसीय राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन का अंतिम दिवस।  *स्थान- जी० बी० पंत राजकीय संग्रहालय, अल्मोड़ा। *आयोजक संस्था- कुमाउनी भाषा, साहित्य व संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी व ‘पहरू’ मासिक पत्रिका।       सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में कुमाउनी भाषा विभाग को
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