कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

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कुमाउनी की पहली महिला कवयित्री: देवकी महरा

कवयित्री देवकी महरा का कुमाउनी साहित्य को योगदान       कवयित्री देवकी महरा ज्यूक जनम 26 मई, 1937 को अल्मोड़ा जिला के कठौली (लमगड़ा) गाँव में हुआ। देवकी महरा हिंदी और कुमाउनी दोनों भाषाओं में लिखतीं हैं। उनकी हिंदी में प्रेमांजलि (1960), स्वाति (1980), नवजागृति (2005) तीन कविता संग्रह, अशोक वाटिका में सीता (खंडकाव्य)

कुमाउनी कविता संग्रह: निशास (Kumauni Poetry Collection: Nishas)

कुमाउनी कविता संग्रह: निशास Kumauni Poetry Collection: Nishas     कवयित्री देवकी महरा कुमाउनी की प्रारंभिक महिला रचनाकारों में आती हैं। निशास उनका पहला कविता संग्रह है। आइये जानते हैं कविता संग्रह व रचनाकार के विषय में। कविता संग्रह के विषय में- निशास (कुमाउनी कविता संग्रह)      ‘निशास’ कवयित्री देवकी महरा का पहला कविता
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