मंजिल की ओर रमेश कक्षा तीन में पढ़ता था। वह पढ़ने में अत्यधिक होशियार था। इसी वजह से रमेश के पिताजी उसे कक्षा तीन से सीधे कक्षा पांच में एडमिशन दिलाना चाहते थे। जब रमेश ने तीसरी कक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की तब रमेश के पिता ने विद्यालय के प्रधानाचार्य जी से कहा-