जिंदगी की रीत कहीं पर है नफरत, कहीं पर है प्रीत साथिया बड़ी अजब-सी है, जिंदगी की रीत साथिया ।   कोई हंसता है, महलों के पीछे कोई तड़पता है, आसमां के नीचे कहीं पर जागते हैं, अरमां रात भर कहीं पर है नींद साथिया। बड़ी अजब-सी है, जिंदगी