ज्योति तिवारी काण्डपालकि कुमाउनी कविता १. मीं एक चेलि छीं एक तरफ चेलि अंतरिक्ष में पुंज गेईं। वैज्ञानिक ले मंगलयान, तीसर चन्द्रयानक् तैयारी में छन । डीएम, एसपी, लेफ्टिनेंट, सचिव पदों पर लै चेलि छन। यां तक कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश पद तक पुंज गईं। हर रोज अघिल
भुवन बिष्टकि कुमाउनी कविता १. सरस्वती बंदना दैण हैजा माता मेरी सरस्वती, दिये माता भौल बुलाण भलि मति। एक हाथ किताब त्यौर, एक हाथ छौ वीणा। मैं बालक अबोध अज्ञानी, आयूँ मैं तेरी शरणा।
ललित शौर्य कि कुमाउनी कविता १. शब्द ब्रह्म हुनि मैं लड़ते रूंल आज, भोल और पोर ही जाणेक तुम गोलि चलाला मैं कलम चलूल तुम मकें मार सकछा मेर शब्दन कै नी मार सकला कभै किलैकि शब्द ब्रह्म हुनी और यो बात ध्यान धरिया जो ब्रम्ह छू उ अमर छू….।