कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: Hindi Literature ( हिंदी साहित्य )

बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार-2019

बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार-2019         इस वर्ष का बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार कुमाउनी लेखक गिरीश चंंद्र बिष्ट ‘हंसमुख’ को दिया जायेगा। इस पुरस्कार हेतु गठित चयन समिति के सदस्यों खुशाल सिंह खनी, भैरवदत्त पांडे, डाॅ. प्रीति आर्या द्वारा विचार-विमर्श के बाद श्री गिरीश चंंद्र बिष्ट ‘हंसमुख’

विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार-2019

विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार-2019       इस वर्ष का विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार कुमाउनी लेखक बिग्रेडियर धीरेश कुमार जोशी (हल्द्वानी) को दिया जायेगा। इस पुरस्कार हेतु गठित चयन समिति सदस्यों जगदीश जोशी, नीरज पंत, रतन सिंह किरमोलिया द्वारा विचार विमर्श करने के बाद बिग्रेडियर धीरेश कुमार जोशी (हल्द्वानी) का नाम

शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार- 2019

शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार- 2019        इस वर्ष का शेर सिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ कुमाउनी कविता पुरस्कार कुमाउनी के प्रसिद्ध कवि मोहन चंद्र जोशी को दिया जायेगा। इस पुरस्कार हेतु गठित चयन समिति के सदस्यों महंत त्रिभुवन गिरि, डाॅ. कपिलेश भोज और डाॅ. मनोहर जोशी द्वारा विचार विमर्श बाद श्री मोहन

निशा पुनेठा

 निशा पुनेठा और उनकी ऐपण कला        हुनरमंद व्यक्ति किसी भी परिचय का मोहताज नहीं होता। पिथौरागढ़ निवासी निशा पुनेठा का हुनर ही तो है, जिसके बल पर इनके द्वारा बनाए गए चित्र एकदम जीवंत प्रतीत होते हैं और इन लोककला आधारित चित्रों के माध्यम से ही निशा जी को उत्तराखंड में एक

ईशा आर्या

ईशा आर्या और उसकी पिरुल की टोकरियाँ         प्रतिभा और रचनात्मकता किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। राजकीय इंटर कालेज ल्वेशाल की नवीं की छात्रा ईशा आर्या ने अपनी बनाई पिरुल (चीड़) की टोकरियों से यह बात सच साबित की है।         ईशा की बनाई पिरुल की टोकरियाँ न सिर्फ

पहाड़ों में इन दिनों: असौज लागि रौ रे भुला

 पहाड़ों में इन दिनों: असौज लागि रौ रे भुला        “ए ब्वारि ऊनी किलै नि खड़्यूनी ! दिन भरि टी० भी० चैबेर हुछई ! असौज लागि रौ। तौ टी० भी०- सी० भी० खित भ्यार। धान चुटन हैरईं। तुकैं टी०भी० हैरै।” सासुल ब्वारि थैं कौ।        ब्वारिल टी०वी० बटन बंद करौ

पुतले हैं तैयार, चलो दशहरा देखने यार

पुतले हैं तैयार,चलो दशहरा देखने यार           अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव भारत में ही नहीं वरन पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस प्रसिद्धि का प्रमुख कारण यहाँ बनाये जाने वाले रावण  परिवार के पुतले हैं। यहाँ के पुतले कलात्मकता और भव्यता के साथ उन कलाकारों के द्वारा निर्मित होते हैं, जो

हम बच्चे हैं हमेें मुस्कुराने दो

हम बच्चे हैं हमेें मुस्कुराने दो एक लंबा अरसा बीत गया किसी बच्चे को नहीं देखे हुए। आजकल के बच्चों को बच्चा कौन कहेगा भला। तीन साल की उम्र में ही सयाने हो जाते हैं। ऐसी ऐसी बातें करने लगते हैं कि बड़े भी दांतों तले अंगुली दबाने पर मजबूर हो जाते हैं। आजकल के बच्चों

लोकपर्व खतड़ुवा: पशुधन की समृद्धि का पर्व है ना कि किसी राजा की विजय का।

लोकपर्व खतुड़वा: पशुधन की समृद्धि का पर्व है ना कि किसी राजा की विजय का      कुमाऊँ में लोक और जनमानस की समृद्धि की कामना हेतु अनेक पर्व मनाये जाते हैं। इन्हीं लोकपर्व में एक पर्व है खतड़ुवा।          खतुड़वा पर्व यद्यपि पशुधन की समृद्धि की कामना हेतु मनाया जाता है,

जिंदगी का हश्र

            जिंदगी का हश्र जिंदगी-जिंदगी कहता रहा, मगर जिंदगी को कभी जान न पाया। करता रहा दुनिया की बातें, मगर खुद को कभी पहचान न पाया।   कभी दौलत के पीछे कभी शोहरत के पीछे हर पल-हर दिन भागता रहा पर मुस्कुराने का कोई सामान न पाया। जिंदगी- जिंदगी कहता
error: Content is protected !!