कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: Hindi Literature ( हिंदी साहित्य )

श्री लक्ष्मी भंडार, हुक्का क्लब की रामलीला 

श्री लक्ष्मी भंडार, हुक्का क्लब की रामलीला      साथियो, यदि कोरोना वायरस न फैला होता तो आजकल पूरे देशभर में रामलीला के मंचन से माहौल राममय हुआ रहता। हमारे कुमाऊं अंचल में रामलीला नाटक के मंचन की परंपरा का इतिहास 160 वर्ष से भी अधिक पुराना है। इसी परंपरा में अल्मोड़ा जनपद के श्री

शेखर जोशी की गलता लोहा कहानी और गणनाथ कालेज के वे पुराने दिन

शेखर जोशी की गलता लोहा कहानी और गणनाथ कालेज के वे पुराने दिन         साथियों आज हम आपको शेखर जोशी की कहानी के माध्यम से ले चलते हैं अल्मोड़ा के ताकुला ब्लॉक में स्थित गणानाथ मंदिर व गणानाथ इंटर कॉलेज की ओर…        साथियों, कक्षा 11 की एन सी ई

आज मनाया जा रहा है संपूर्ण कुमाऊँ में लोकपर्व खतड़ुवा

आज मनाया जा रहा है संपूर्ण कुमाऊँ में लोकपर्व खतड़ुवा    ‘खतड़ुवा’ पशुधन की समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाने वाला कुमाऊँ का प्रमुख लोकपर्व है। इस दिन पशुओं को भरपेट हरी घास खिलायी जाती है। शाम के समय घर की महिलाएं खतड़ुवा (एक छोटी मशाल) जलाकर उससे गौशाला के अन्दर लगे मकड़ी के

मीनाक्षी खाती की ऐपण राखियाँ- बहना के प्यार में लोक-समाज और संस्कृति की मिठास

मीनाक्षी खाती की ऐपण राखियाँ– बहना के प्यार में लोक-समाज और संस्कृति की मिठास          बहना ने भाई की कलाई पे प्यार बांधा है… और इस प्यार में अपने लोक, समाज और संस्कृति की मिठास घुली हुई हो तो और कहना ही क्या ! जी हाँ हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड

राष्ट्रीय पर्व घोषित हो हरेेेेला ( Harela: National festival should be declared )

लोकपर्व: हरेला- राष्ट्रीय पर्व घोषित हो हरेेेेला  समय रहते मनुज यदि अब भी, पर्यावरण हित न सोचेगा। घृणित अक्षरों से लिखा इतिहास उसको धिक-धिक कह नोचेगा।।        शशांक मिश्र भारती की उपर्युक्त पंक्तियां पर्यावरण के प्रति मनुष्य को सचेत करती हैं। आधुनिक समय में पर्यावरण तेजी से बदल रहा है और पर्यावरण असंतुलन

लोकगायक हीरा सिंह राणा का कुमाउनी लोकसंगीत व साहित्य को योगदान

लोकगायक हीरा सिंह राणा का कुमाउनी लोकसंगीत व साहित्य को योगदान (Contribution of folk singer Heera Singh Rana to Kumauni folk music and literature)        साथियों, 13 जून, 2020 की रात्रि 2 बजे लोकगायक हीरा सिंह राणा के रूप में कुमाउनी लोकसंगीत के एक सुनहरे अध्याय का अंत हो गया। राणा जी का

कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘आंखर’ और उससे जुड़ी तस्वीरें

कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘आंखर’ और उससे जुड़ी तस्वीरें   कुमाउनी मासिक पत्रिका-आंखर        वर्ष 1993 के प्रथम माह से लखनऊ से एक कुमाउनी मासिक पत्रिका का प्रकाशन हुआ। इस पत्रिका का नाम था- ‘आंखर’। कुमाउनी मासिक पत्रिका ‘आंखर’ का संपादन लखनऊ से आकाशवाणी के उत्तरायण कार्यक्रम के प्रस्तोता रहे बंशीधर पाठक ‘जिज्ञासु’ ने

कुमाउनी- गढ़वाली पत्रिका ‘बुरांस’ और उसकी तस्वीरें

कुमाउनी- गढ़वाली पत्रिका ‘बुरांस‘ और उसकी तस्वीरें   कुमाउनी गढ़वाली पत्रिका बुरांस        वर्ष 1996-99 के आसपास उदयपुर (राजस्थान) से एक त्रैमासिक कुमाउनी-गढ़वाली मासिक पत्रिका का प्रकाशन होता था। उस पत्रिका का नाम था- बुरांस। इस पत्रिका के मुख्य संपादक नवीन पाटनी थे और यह मेवाड़ प्रिंटर्स, उदयपुर से मुद्रित होती थी। इस

कुमाउनी पत्रिका ‘ब्याण तार’ और उससे जुड़ी तस्वीरें

कुमाउनी पत्रिका ‘ब्याण तार’ और उससे जुड़ी तस्वीरें   कुमाउनी पत्रिका- ‘ब्याण तार‘        1990-92 के कालखंड में अल्मोड़ा से कुमाउनी में एक मासिक हस्तलिखित पत्रिका प्रकाशित होती थी और उसकी प्रतियाँ फोटोकापी कर वितरित की जाती थी। उस पत्रिका का नाम था- ‘ब्याण तार’।         ‘ब्याण तार’ मासिक पत्रिका का

कुमाउनी की पहली पत्रिका अचल की महत्वपूर्ण जानकारियाँ और उसके अंकों की तस्वीरें

कुमाउनी की पहली पत्रिका अचल की महत्वपूर्ण जानकारियाँ और उसके अंकों की तस्वीरें कुमाउनी  की पहली पत्रिका- ‘अचल’       कुमाउनी की पहली पत्रिका अचल का प्रकाशन जीवन चंद्र जोशी के संपादकत्व में फरवरी, 1938 ई० में अल्मोड़ा से शुरू हुआ और यह तीन वर्षों तक यानि 1940 तक प्रकाशित हुई। इसका अंतिम अंक
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