उत्तराखंड में कुछ ऐसे पर्व मनाए जाते हैं, जो वरन क्षेत्रीय और राष्ट्रीय ही नहीं वरन अंतर्राष्ट्रीय महत्व के हैं। हरेला और फूलदेई इन्हीं पर्वों में से हैं। ये पर्व प्रकृति संरक्षण और मानव मात्र की खुशहाली की कामना करते हैं। फूलदेई, छम्मा देई, दैंणी द्वार, भर भकार, य देई में हो,
कुमाउनी होली ( Kumauni Holi ) कुमाऊँ में होली गायन की परंपरा 15 वीं शताब्दी में चंद राजाओं के शासनकाल से रही है। कुमाउनी होली का अपना विशेष ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। कुमाऊँ में होली का त्यौहार बसंत पंचमी के दिन शुरू हो जाता है। कुमाउनी होली के तीन रूप देखने
दीपावली पर विशेष- 5 प्रेेम कविताएँ 1. दीये ने जलने से इनकार कर दिया इस बार दीपावली में दीये ने जलने से इनकार कर दिया। उसे आदत हो चुकी थी उनके नर्म हाथों के स्पर्श की। उसे आदत हो चुकी थी उनके चेहरे की रोशनी को खुद में समेट लेने की।
बेटे के अध्यापक को अब्राहम लिंकन का पत्र अब्राहम लिंकन (12 फरवरी, 1809- 15 अप्रैल 1865) अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति थे। इनका कार्यकाल 1861 से 1865 तक था। ये रिपब्लिकन पार्टी से थे। उन्होंने अमेरिका को उसके सबसे बड़े संकट – गृहयुद्ध से निजात दिलाई तथा अमेरिका में दास प्रथा के अंत का श्रेय भी
शिक्षक इस जगत के असली निर्माता हैं “जय शिक्षक जय ज्ञान के दाता जय हो तुम्हारी जय जय हो।” भक्तिकालीन संत कबीरदास जी ने कहा है कि गुरू सम दाता जग में कोई नहीं। अर्थात गुरू के समान दाता यानी देने वाला कोई नहीं है। गुरू अर्थात शिक्षक ही है जो अपने ज्ञान से व्यक्ति