कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

साल 2021 के विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार से सम्मानित होंगे घनानंद पांडे ‘मेघ’

विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार 2021 से सम्मानित होंगे घनानंद पांडे ‘मेघ’

      अल्मोड़ा, वर्ष 2021 का विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार कुमाउनी लेखक घनानंद पांडे ‘मेघ’ (लखनऊ) को दिया जायेगा। इस पुरस्कार हेतु गठित चयन समिति सदस्यों द्वारा विचार विमर्श करने के बाद घनानंद पांडे ‘मेघ’ का नाम घोषित किया गया। श्री मेघ को यह पुरस्कार कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा व ‘पहरू’ मासिक पत्रिका द्वारा आगामी 25, 26 व 27 दिसंबर, 2021 को होटल नरेंद्रा पैलेस, बागेश्वर में आयोजित होने वाले तीन दिनी तेेेरहवेें राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन में दिया जायेगा। श्री मेघ को पुरस्कार के रूप में पांच हजार एक रू. की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जायेगा। यह जानकारी समिति सचिव व ‘पहरू’. संपादक डॉ. हयात सिंह रावत ने दी। 

पुरस्कार के विषय में-

विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार

      विक्टोरिया क्राॅस कैप्टन गजे घले पुरस्कार वर्ष 2018 से सैन्य पृष्ठभूमि पर आधारित लेखन के लिए कुमाउनी के किसी एक रचनाकार को प्रतिवर्ष दिया जाता है। पुरस्कार के रूप में पांच हजार एक रू० की नकद धनराशि, अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है। वर्ष 2018 में यह पुरस्कार कुमाउनी लेखक पूरन चंद्र कांडपाल ( दिल्ली ) को और वर्ष 2019 में ब्रिगेडियर धीरेश कुमार जोशी को प्रदान किया गया।

विजेता के विषय में-

घनानंद पांडे ‘मेघ’

      लेखक घनानंद पांडे ‘मेघ’ का जन्म 2 नवंबर, 1952 को पिथौरागढ़ जनपद के नैनी (उड़ाई) गाँव में हुआ था। आपने स्नातक की शिक्षा ग्रहण की और तत्पश्चात् उत्तर प्रदेश सचिवालय निजी सचिव के रूप में कार्य किया। मेघ जी हिंदी और कुमाउनी दोनों भाषाओं में लेखन करते हैं। नरै (कुमाउनी गीत संग्रह), कल्पनाओं का सावन, दर्द लेखनी का, भारती की आरती, माटी का कर्ज, पावन माटी का लाल: मेजर उत्तम सिंह सामंत समेत आपकी कुल एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। सैन्य पृष्ठभूमि पर लेखन करने के साथ-साथ आपने कुमाउनी में सरस और मार्मिक गीतों की रचना की है। 

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