कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन, 2019 समापन दिवस

11वें राष्ट्रीय कुमाउनी भाषा सम्मेलन का समापन

    कुमाउनी भाषा, साहित्य व संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी व ‘पहरू’ कुमाउनी मासिक पत्रिका द्वारा 10, 11 व 12 नवम्बर, 2019 को नौकुचियाताल में आयोजित इस सम्मेलन में तीन दिन तक कुमाउनी में विविध विधाओं में लिखे जा रहे साहित्य पर मंथन हुआ। सम्मेलन में कुमाउनी, गढ़वाली को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल करने, उत्तराखंड में कुमाउनी भाषा को स्कूली पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में शामिल करने और कुमाउनी भाषा के विकास के लिए उत्तराखंड में ‘कुमाउनी भाषा अकादमी’ गठित करने की मांग जोर-शोर से उठी। 

 साहित्यकारों और भाषा-प्रेमियों की 5 मांगेें 

      कुमाउनी भाषा सम्मेलन में सर्वसम्मति से 5 मांगें उठाई गईं- 

1. कुमाउनी व गढ़वाली लोकभाषाओं को भारतीय संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाय।

2. उत्तराखंड में प्राइमरी से उच्च शिक्षा तक इस्कूली पाठ्यक्रम में कुमाउनी व गढ़वाली लोकभाषाओं को एक विषय के रूप में पढ़ाया जाय।

3. कुमाउनी भाषा के विकास के लिए उत्तराखंड में ‘कुमाउनी भाषा अकादमी’ व गढ़वाली के विकास के लिए ‘गढ़वाली भाषा अकादमी’ गठित की जाय।

4. कुमाऊँ विश्वविद्यालय से संबद्ध परिसरों में एम.ए. में कुमाउनी भाषा की संस्थागत पढ़ाई शुरू की जाए।

5. कुमाऊँ विश्वविद्यालय से संबद्ध परिसरों में कुमाउनी भाषा विभाग की स्थापना की जाए व आवश्यक पद सृजित किए जाएं। 

       सम्मेलन का आखिरी दिन सम्मान समारोह के रूप में मनाया गया। कुमाउनी के 40 से अधिक रचनाकारों, भाषा सेवियों को शेरसिंह बिष्ट ‘अनपढ़’ स्मृति कुमाउनी कविता पुरस्कार, ‘बहादुर बोरा ‘श्रीबंधु’ स्मृति कुमाउनी कथा साहित्य पुरस्कार, ‘विक्टोरिया क्राॅस कै. गजे घले पुरस्कार, गंगा अधिकारी स्मृति कुमाउनी नाटक लेखन पुरस्कार, ‘बहादुर सिंह बनोला स्मृति कुमाउनी साहित्य सेवी सम्मान, ‘पान सिंह चम्याल स्मृति कुमाउनी भाषा सेवी सम्मान’, ‘वैद्य कल्याणसिंह बिष्ट स्मृति कुमाउनी संस्कृति सेवी सम्मान’ व विभिन्न प्रतियोगिताओं में विजयी रहे रचनाकारों को रचना पुरस्कारों व सम्मानों से सम्मानित किया गया। 

      इससे पूर्व 11 तारीख की शाम कुमाउनी कवियों के नाम रही। देर रात तक चली काव्य गोष्ठी में देश भर से पधारे कुमाउनी के 50 से अधिक कवियों ने अपनी काव्य रचनाएँ सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। 

     कुल मिलाकर कुमाउनी भाषा के इस 11 वें राष्ट्रीय सम्मेलन का सफल समापन हुआ। 

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