कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

चंद्रशेखर कांडपाल की कुमाउनी कविताएँ

  चंद्रशेखर कांडपालकि कुमाउनी कविता

                  १. उत्तराखंड राज्य

विकासक् नाम परि बणौ उत्तराखंड राज्य।
बाव् बै अब उन्नीस सालक् हैगो ज्वान।
गधेरू नेताओंक् ले खूब हैरे बहार।
अखवार और भाषणों में जी मिलि रौ रूजगार।
जो कभै पधान नीं बण सकछी, आज विधायक-सांसद बणि गेई।
आपूंणि आघिल दस पीड़ियों हैं धन-दौलत खूब समेरण रई।

चुनावूं में इन्हर प्रचार ले न्यारै छू।
शराब और नोटूंक मुक्स्यारै छू।
पांच सौक् नोट और अद्धी एक वोटक् मोल छू।
जनता ले इन्हर ढंग में खूब रंगीन छू।
जनता जै सही हूंनि कैकै दींछी य डबल और शराब।
इसिके हूंनि गे मेरी उत्तराखंडक् दाश् खराब।

गैरसैंण कै इनूल गैर करिहै!
राजधानी नाम पै वां खूब पैंस लगै है।
हमर नेतााओं के वां अब लागण हैगो जाड़।
शहीद-आन्दोलनकारियोंक् स्वैंण न्हैगीं ख्याड़।
भरी जवानी में जी हाफण फैगो हमर उत्तराखंड।
बचाओ दाद-भूलि हमर उत्तराखंड, हमर उत्तराखंड।।

      २. जाणि कां हैरै गो विकास

विकास नाम पर पैलि भोट मांग। 
विकासक् नामल् ठुल नेता बणी।
चाटूकारोंक् लै खूब करौ विकास।
बस आम आदिमक् नीं है सक् विकास।
जाणिं का हरै रौ विकास।

पधानी, वार्ड मैम्बर, बीडीसी में देखो।
जिला पंचायत अध्यक्ष, बिलाक प्रमुखों में देखो।
सबै जाग् सबूंकौ खूब हैरौ विकास।
पर जमीन में किले नि देखिंणय विकास ?
जाणि कां हैरो गो विकास। 

विधायक, सांसद ले य दौड़ में पछिल न्हैंतन ।
ढेपुटाक् में सबूहैं आघिल यई छन।
पांच – पांच करोड़ हरसाल खरोड़ दिनीं।
चुनावूं में हमरि नब्ज कें भलि भां मरोड़ दिनीं।

सरकार आते रैं, सरकार जाते रैं ।
आपूंणांक भल्याम् करते रैं।
सत्ता पक्षक् खूब हैरौ विकास।
विपक्ष कैं कभैं नीं देख्यन विकास।

जाणिं का हैरे रौ विकास।
जांणि कां हराई हनल विकास ।।


                 *रचनाकार परिचय*

नाम- चन्द्र शेखर काण्डपाल 
जन्मतिथि- 15 जुलाई, 1990
ईज- श्रीमती कला काण्डपाल 
बाब्- श्री हरीशचन्द्र काण्डपाल
घरवाइ- श्रीमती ज्योति तिवारी काण्डपाल 
च्यल- रूद्रांश काण्डपाल 
व्यवसाय – शिक्षक (राजकीय पॉलीटेक्निक दन्य) 
मूल निवासी- गौं- कांटई, कौसाणि (अल्माण)
शैक्षिक योग्यता – यान्त्रिक अभियन्त्रण डिप्लोमा
शौक – लोक साहित्यक् अध्ययन, लेखन, घूंमण- फिरण, सामाजिक काम। 

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