कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी भाषा सम्मेलन- द्वितीय दिवस

उत्तराखंड में कुमाउनी, गढ़वाली भाषा अकादमी स्थापित की जाए

* कुमाऊँ विश्वविद्यालय में एम.ए. में कुमाउनी भाषा का संस्थागत पाठ्यक्रम यथाशीघ्र शुरू किया जाए। 

* विश्वविद्यालयों में कुमाउनी भाषा विभाग खोला जाए।

     कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा व ‘पहरू’ मासिक पत्रिका द्वारा आयोजित नौकुचियाताल में चल रहे 11वें राष्ट्रीय कुुमाउनी भाषा सम्मेलन के दूसरे दिन देश भर से आये साहित्यकारों व भाषा-प्रेमियों ने उत्तराखंड में कुमाउनी, गढ़वाली भाषा अकादमी स्थापित करने की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड की सरकार को दिल्ली की सरकार से प्रेरणा लेनी चाहिए। इसके अलावा यह भी कहा गया कि कुमाऊँ विश्वविद्यालय में एम.ए. में कुमाउनी भाषा का संस्थागत पाठ्यक्रम यथाशीघ्र शुरू किया जाना चाहिए। विश्वविद्यालयों में अलग से कुमाउनी भाषा विभाग होना ही चाहिए। 

       सुबह 6 बजे से शुरू होकर देर रात तक चलेे कार्यक्रम में कुुमाउनी को 8वीं अनुसूची में शामिल करने, उत्तराखंड में कुमाउनी, गढ़वाली भाषा अकादमी स्थापित करने पर तो चर्चा हुई ही, साथ ही कुमाउनी भाषा के मानकीकरण व व्याकरण पर भी विचार विमर्श हुआ। इस दौरान अनेेेक साहित्यकारों व भाषा-प्रेमियों को पुरस्कृत व सम्मानित भी किया गया।

     कार्यक्रम में कुमाउनी साहित्य से संबंधित पुस्तकों का लोकार्पण किया जा रहा है, साथ ही लोक कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुति दी जा रही है। सम्मेलन में कुुमाउनी पुस्तकों की प्रदर्शनी भी आकर्षण का केंद्र बन रही है। 

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