कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

कुमाउनी भाषा को 8वीं अनुसूची में मिले स्थान- सौंपा ज्ञापन

कुमाउनी भाषा को 8वीं अनुसूची में मिले स्थान

ज्ञापन सौंपता शिष्टमंडल

    अल्मोड़ा, कुमाउनी भाषा, साहित्य व संस्कृति प्रचार समिति कसारदेवी, अल्मोड़ा की नई कार्यकारिणी के पदाधिकारियों द्वारा जिलाधिकारी अल्मोड़ा के माध्यम से मुख्यमंत्री उत्तराखंड श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को ज्ञापन प्रेषित किया गया। ज्ञापन में कुमाउनी भाषा सम्मेलन, 2020 में पारित 8 प्रस्तावों को अमल में लाने की मांग की गई है, जिनमें से प्रमुख प्रस्ताव निम्न हैं-

1. कुमाउनी, गढ़वाली लोकभाषाओं को संविधान की 8वीं अनुसूची में स्थान मिले। 

2. कुमाउनी भाषा के विकास के लिए उत्तराखंड में ‘कुमाउनी भाषा अकादमी’ की स्थापना हो। 

3. उत्तराखंड में प्राइमरी से उच्च शिक्षा तक विद्यालयी पाठ्यक्रम में एक विषय के रूप में कुमाउनी भाषा की पढ़ाई हो और पाठ्यक्रम निर्माण की प्रक्रिया अविलंब शुरू की जाए।

4. उत्तराखंड में हिंदी अकादमी व उत्तराखंड भाषा संस्थान की गतिविधियाँ शुरू की जाएं। पुस्तक प्रकाशन व लेखकों का सम्मान किया जाए। 

5. उत्तराखंड में स्थापित विविध अकादमियों में क्षेत्रीय भाषा के रचनाकारों को शामिल किया जाए। 

6. सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा में कुमाउनी भाषा विभाग की स्थापना हो और स्थाई शिक्षक नियुक्त किए जाएं। 

        ज्ञातव्य हो कि कुमाउनी भाषा सम्मेलन, 2020 के दौरान सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय, अल्मोड़ा के कुलपति प्रो० नरेंद्र सिंह भंडारी जी विश्वविद्यालय में कुमाउनी भाषा का अलग विभाग खोलने और वहाँ शिक्षकों को नियुक्त करने हेतु पूर्ण प्रयास करने की बात कह चुके हैं। 

      ज्ञापन सौंपने वाले शिष्टमंडल में भू०प्रधानाचार्य व समाजसेवी व समिति अध्यक्ष देव सिंह पिलख्वाल, उपाध्यक्ष एडवोकेट जमन सिंह बिष्ट, कोषाध्यक्ष व सामा० कार्यकर्ता महिपाल सिंह बिष्ट, समिति सचिव व पहरू संपादक डॉ. हयात सिंह रावत, समिति उपसचिव व पहरू उपसंपादक ललित तुलेरा, सदस्य प्रवीण सिंह कर्मयाल, शशि शेखर जोशी, आनंद सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।

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