कुमाउनी का पहला व्यंग्य संग्रह: ठेकुवा
कुमाउनी का पहला व्यंग्य संग्रह: ठेकुवा
पुस्तक के विषय में-
कुमाउनी कवि और लेखक प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’ के ‘ठेकुवा’ व्यंग्य संग्रह का प्रकाशन मार्च, 2012 में हिमाल प्रेस, पिथौरागढ़ से हुआ। इस व्यंग्य संग्रह में शूल जी के भल फिरि ऊनु, ठेकुवा, ई काफल हैं सैपो, लाल कुत्तम अति उत्तम, सड़ियौ को आलु, टीबी और बीबी, एक प्रश्न, कुकुर चालीसा, ऊई पकौ जु, यो लोभ कि हुंछ, दूल्हा अभावे, गर्धभम्, बिरालु और बल्ला, टीमक-टामक कुल 13 व्यंग्य संगृहीत हैं। ठेकुवा कुमाउनी भाषा का पहला व्यंग्य संग्रह है।
ठेकुवा संग्रह के अधिकांश व्यंग्य मनुष्य की प्रवृत्तियों और उसके स्वभाव का चित्रण करते हैं। संग्रह का शीर्षक व्यंग्य झक्कीलाल ज्यू और कवि के बीच बातचीत पर आधारित है- “ठेकुवा! ठेकुवा राखनू हो महाराज कविज्यू ! मैं आपना पैद हुन्या बच्चा का नाम।….. ठेकुवा को मतलब हुंछ ठेकि जैथें विंडो लै कै कई जैं। जैमें दै खितिबेर छांछ खकोड़ी जैं। अर्थात् दूद, दै, नूनि, घ्यू, छांछ रूपी पंचरत्न हमू प्रदान करूनी ठेकुवा।”
शूल जी के ठेकुवा व्यंग्य संग्रह में हास्य शैली का भी स्थान-स्थान पर प्रयोग हुआ है। टीबी और बीबी व्यंग्य से एक उदाहरण देखिए- “टीबी और बीबी में अंतर- 1. टीवी खिन कंट्रोल करनाकि थैं रिमोट हुंछ, मगर बीबी खिन कंट्रोल करनौ को आज तकै कोई ले यंत्र बिकसित नै है राय। 2. बीबी लड़ि-झगड़ि सकछि। बेलन- कुच्चो मारि सकछी। गालि-गलौच करि सकछि, धिक्कारि सकछि, जबकि टीबी यो सब नै करि सकनि।“
लेखक के विषय में-
प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’
कुमाउनी कवि और लेखक प्रकाश चंद्र जोशी ‘शूल’ का जन्म 11 मार्च, 1970 को चंपावत जिले के निरौ (जोशीखोला) गाँव में हुआ। आपकी माता का नाम श्रीमती दुर्गा माहेश्वरी और पिता का नाम पं० चिंतामणि जोशी है। आपने भूगोल बिषय से एम.ए. करने के साथ बीएड की शिक्षा हासिल की।
शूल जी कुमाउनी की कुमैयां बोली में साहित्य लिखते हैं। उनके कुमाउनी में दो कविता संग्रह मनैकि तीस (2010), जन पिया शराब (2011) और एक व्यंग्य संग्रह ठेकुवा (2012) प्रकाशित हुए हैं। कुमाउनी के साथ-साथ आप हिंदी में भी लेखन करते हैं। सामाजिक कार्यों में भी आपकी गहन रूचि है।
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