कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

उत्तराखंड के वन्य जीव अभ्यारण्य/वन्य जीव विहार (Wildlife Sanctuary of Uttarakhand)

उत्तराखंड के वन्य जीव अभ्यारण्य/वन्य जीव विहार (Wildlife Sanctuary of Uttarakhand)

उत्तराखंड के वन्य जीव अभ्यारण्य/वन्य जीव विहार

उत्तराखंड में कुल 7 वन्य जीव अभ्यारण्य ( वन्य जीव विहार) हैं। ये निम्नलिखित हैं-

1. गोविन्द वन्य जीव विहार (Govind Wildlife Sanctuary)-

गोविन्द वन्य जीव विहार जनपद उत्तरकाशी में 485 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला है। इसकी स्थापना सन् 1955 में की गयी। यहाँ मुख्यतः भूरा भालू, कस्तूरी मृग, हिम तेंदुआ, घुरल, काकड़ , जंगली सूअर, जंगली बिल्ली, आदि जानवर पाये जाते हैं। पक्षियों में चकोर, कली, गोल्डन ईगल, मोनाल आदि पक्षी पाये जाते हैं।

  • स्थापना वर्ष- 1955 ई०
  • स्थान- उत्तरकाशी
  • क्षेत्रफल- 485 वर्ग किलोमीटर

2. केदारनाथ वन्य जीव विहार (Kedar-nath Wildlife Sanctuary)-

सन् 1972 में स्थापित केदारनाथ वन्य जीव विहार जनपद चमोली तथा रुद्रप्रयाग में 957 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। यहाँ मुख्यतः गुलदार, काला व भूरा भालू, कस्तूरी मृग, साही, हिम तेंदुआ, घुरल, काकड़, गीदड़, जंगली सुअर आदि जीव पाये जाते हैं। पक्षियों में चकोर, गोल्डन ईगल, मोनाल आदि पक्षी पाये जाते हैं। यह उत्तराखंड का सबसे अधिक क्षेत्रफल वाला वन्य जीव विहार है। 

  • स्थापना वर्ष- 1972 ई०
  • स्थान- चमोली एवं रुद्रप्रयाग/केदारखंड क्षेत्र
  • क्षेत्रफल- 957 वर्ग किलोमीटर

3. अस्कोट वन्य जीव विहार (Askot Wildlife Sanctuary)-

अस्कोट वन्य जीव विहार जनपद पिथौरागढ़ में 600 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। इसकी स्थापना सन् 1986 में की गयी। अस्कोट वन्य जीव अभ्यारण्य कस्तूरी मृग के लिए प्रसिद्ध है, जिस कारण इसे कस्तूूरा वन्य जीव विहार भी कहते हैं। यहां पाए जाने वाले अन्य प्रमुख वन्य-जीवों में हिम बाघ, रीछ, बर्फ का भालू, भरल, थार, कस्तूरी मृग आदि हैं और पक्षियों में कोकलास, फिजेंट, मोनाल, पहाड़ी तीतर, हिमालयन स्नोकोक आदि हैं । 

  • स्थापना- 1986 ई०
  • स्थान- पिथौरागढ़ जनपद
  • क्षेत्रफल- 600 वर्ग किलोमीटर

4. सोनानदी वन्य जीव विहार (Sona-nadi Wildlife Sanctuary)-

सन् 1987 में स्थापित सोनानदी वन्य जीव विहार जनपद पौड़ी गढ़वाल में 301 वर्ग किमी. क्षेत्रफल में फैला है। यहाँ पर मुख्यतः गुलदार, हाथी, शेर , घुरल, काकड़,  सियार, जंंगली सुअर, मगर, घड़ियाल, अजगर आदि जानवर पाये जाते हैं। पक्षियों में हार्नबिल, पलास फिशिंग, ईगल, कलीज, किंग फिशर, हिमालयन पाइड आदि प्रमुख हैं।

  • स्थापना- 1987 ई०
  • स्थान- पौड़ी गढ़वाल जनपद
  • क्षेत्रफल- 301 वर्ग किलोमीटर

5. बिनसर वन्य जीव विहार (Binsar Wildlife Sanctuary)-

बिनसर वन्य जीव विहार जनपद अल्मोड़ा में 47 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। इसकी स्थापना सन् 1988 में की गयी। यहाँ पर मुख्यतः तेंदुआ, काला भालू, घुरल, काकड़, जंगली सुअर, जंगली बिल्ली, आदि जानवर पाये जाते हैं। पक्षियों में गोल्डन ईगल, मोनाल, हिमालयन स्नोकाक आदि प्रमुखता से मिलते हैं।

  • स्थापना- 1988 ई०
  • स्थान- अल्मोड़ा
  • क्षेत्रफल- 47 वर्ग किलोमीटर

6. मसूरी वन्य जीव विहार (Mussoorie Wildlife Sanctuary)-

इसे बिनोग माउंटेन क्वेल वन्य-जीव विहार (Binog Mountain Quail Wildlife Sanctuary) भी कहते हैं। यह वन्य जीव विहार जनपद देहरादून में 11 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। इसकी स्थापना सन् 1993 में की गयी। यहाँ पर मुख्यतः बंदर, गुलदार, काला भालू, लंगूर, घुरल, काकड़, जंगली सूअर आदि जानवर पाये जाते हैं। पक्षियों में तीतर, बटेर, चकोर, जंगली मुर्गा आदि यहाँ प्रमुखता से मिलते हैं। विलुप्त घोषित पक्षी माउंटेन क्वेल (पहाड़ी बटेर) को अंतिम बार यहीं देखा गया था। 

  • स्थापना वर्ष- 1993 ई०
  • स्थान- देहरादून जनपद
  • क्षेत्रफल- 11 वर्ग किलोमीटर

 7. नन्धौर वन्य जीव विहार (Nandh-aur Wildlife Sanctuary)

नन्धौर वन्य जीव विहार जनपद नैनीताल व चम्पावत में 270 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैला है। इसकी स्थापना सन् 2012 में की गयी। यहाँ पर मुख्यतः भालू, बाघ, बंदर, लंगूर आदि जानवर पाये जाते हैं। पक्षियों में मोनाल, तीतर, चकोर, जंगली मुर्गी आदि पक्षी यहाँ मिलते हैं। 

  • स्थापना वर्ष- 2012 ई०
  • स्थान- नैनीताल व चंपावत जनपद
  • क्षेत्रफल- 270 वर्ग किलोमीटर     

                                ***

Share this post

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!