कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

अनुवादित पुस्तक: कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता ( Translate book: Kumauni Shrimadbhagwadgeeta)

अनुवादित पुस्तक: कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता
Translate book: Kumauni Shrimadbhagwadgeeta

साथियों, आज हम चर्चा करते हैं कुमाउनी लेखक पूरनचंद्र जोशी की अनुवादित पुस्तक ‘कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता’ के विषय में- 

कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता

       ‘कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता’ श्री पूरनचंद्र जोशी द्वारा अनुवादित पुस्तक है। इस पुस्तक का प्रकाशन सन् 1987 में हुआ। इस पुस्तक के प्रकाशक श्री भवानी दत्त पाठक, नई दिल्ली हैं। लेखक ने महाभारत के संपूर्ण 18 पर्वों का कुमाउनी में पद्यात्मक ( ग्येय पदों में) अनुवाद किया है। इस पुस्तक में पहले आदि पर्व से अंतिम 18वें स्वर्गारोहण पर्व तक का अनुवाद है। 

किताब का नाम- कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता
विधा- अनुवाद (पद्यात्मक) 
अनुवादक- पूरन चंद्र जोशी
प्रकाशक- भवानीदत्त पाठक, नई दिल्ली। 
प्रकाशन वर्ष- अक्टूबर, 1987

कुमाउनी श्रीमद्भगवद्गीता’ पुस्तक से अनुुुवाद के 2 उदाहरण-

1. यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत:।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्॥
(चतुर्थ अध्याय, श्लोक 7)

अनुवाद-
धर्मनाश अधर्म वृद्धि, मैं जब देखनू
तब रूप रचिबेर, मैं प्रकट हनू। 

2. परित्राणाय साधूनाम् विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे-युगे॥
( चतुर्थ अध्याय, श्लोक 8 ) 

अनुवाद- 
साधू संत लोगोंक में, उद्धार करनू। 
जो बुर करनी कर्म, नाश लै करनू। 
युग-युग मज भागी, मैं प्रकट हनू। 
अधर्मक नाश करी, धरम बढ़ानू। 

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