कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

तेरे प्रेम में त्रिज्या से व्यास बन गई हूँ

तेरे प्रेम में

त्रिज्या से व्यास बन गई  हूँ

 

हरी-भरी धरती थी

अब तो नीला आकाश बन गई हूँ

तेरे प्रेम में ओ पगले !

त्रिज्या से मैं व्यास बन गई हूँ।

 

तू क्या जाने

मेरे जीवनवृत्त की

एकमात्र परिधि तू ही है

अब बावली होकर

तेरे दिल की

आनी-जानी सांस बन गई हूँ

 

तेरे प्रेम में ओ पगले !

त्रिज्या से मैं व्यास बन गई हूँ।

 

© Dr. Pawanesh

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