कुमाउनी का पहला रेखाचित्र संग्रह: दस ज्यून चित्र
कुमाउनी का पहला रेखाचित्र संग्रह: दस ज्यून चित्र (2016)
डॉ० पवनेश ठकुराठी का यह रेखाचित्र संग्रह वर्ष 2016 में कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी (अल्मोड़ा) से प्रकाशित हुआ है। यह कुमाउनी का पहला मौलिक रेखाचित्र संग्रह है। इस संग्रह में कुल दो भाग हैं। पहले भाग का नाम मनखियोंक चित्र है और दूसरे भाग का नाम जंतु नदी और रूखक चित्र है। पहले भाग में मानवों के रेखाचित्र हैं और दूसरे भाग में जंतुओं, नदी और पेड़ के रेखाचित्र हैं। इन दोनों भागों में कुल 10 रेखाचित्र संगृहीत हैं। ये रेखाचित्र क्रमश: कुलपति ज्यू, नान कल्लू, पूरन सिंह मासाब, लाटि, श्याम सर रंग-बिरंङ स्याप, जाकुला, धौलि बाकरि, बांजक रूख और पूसी हैं। लेखक ने सब रेखाचित्र अपने जीवन से जुड़े लोगों और जीव-जंतुओं पर लिखे हैं। इन प्रेरक रेखाचित्रों में काव्यात्मक, आलंकारिक और सूक्तिपरक शैलियों का प्रयोग हुआ है।
किताब का नाम- दस ज्यून चित्र विधा- रेखाचित्र संग्रह रचनाकार- पवनेश ठकुराठी प्रकाशक- कुमाउनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति, कसारदेवी, अल्मोड़ा। प्रकाशन वर्ष- 2016 मूल्य- 70 ₹
‘पूसी‘ रेखाचित्र का एक अंश नीचे दिया जा रहा है-
“नाती ऽ ले त्यर लिजी मिं एक बिराउक प्वथ लै रयूँ”। यस कैबेर हमर बुबुल एक सफेद बिराउक प्वथ आपण भोटाकि खल्दि बै भ्यार निकालौ। और जसिकै मील वी बिराउक प्वथ कें पकड़ौ, जसिकै मिंकें अरबोंकि संपत्ति मिलि गै। बसंत के वीकि हरियाली मिलि गै। मेरि आंख्यूँ में चमक, मेरि बातों में लहक आफी-आफी ऊन बैठी। बुबु कें मालूम छि कि मिंकें बिराउ भौत भल लागनीं। यसै लिजी उन गौं बै एक बिराउ प्वथ लाई भाय। सफेद-काव द्वी रङोंक छि उ। इतुक देखन-चान कि जो देखौ देखियाक रै जौ । उ छि त बिराउ लेकिन मुसाक जस छाव चिताइछी। कित्था और साङला मारन में वीक के मुकाबला नै छि। उछिटि- उछिटिबेर कित्था और साङला मारछी। जब उ हमार घर आछ, त पैंली दिनै इजाल वीक नामकरण करि दीछ और वीक नाम धरि दीछ-पूसी। आब घरक सब जाणी वीकें ‘पूसी! आ सिरु’ कैबेर बुलूँछी। आब धीरे-धीरे पूसी हमर परिवारकि सदस्य बणि गैथि। सब जाणी वीकेँ भल मानछी और वीकें लाड़-प्यार करछी। हमार घर ऊंनाक पैंलि दिन बै पूसील आपण हुनर दिखूंन शुरू कर दीछ। हमरि आमा गोठ आग बालिबेर चुला में रवाट पकूंन रैथि, पूसी चारपाई ताव जैबेर साङल खोजन रैथि और उनूकें एक-एक कैबेर मारन रैथि। सिर्फ मारनै नै बलकन उ उनू खै ले दिणी वालि भै। पूसी सर्वाहारी छि। घरक भितेर दूध और साङाला पूसीक प्रिय भोजन छि और घरक भ्यार कित्था मारिबेर खान में वीकें विशेष आनंद ऊँछी। मुस मारन वील आजि नै सिखि राछी ।
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