कविता संग्रह – दो पेज की चिट्ठी में ( Poetry Collection- Do Page Ki Chiththi mai ) साल 2013 में अल्मोड़ा किताब घर से प्रकाशित पवनेश ठकुराठी के इस हिंदी कविता संग्रह में कुल 56 कविताएँ संगृहीत हैं। ये कविताएँ युवा मन की कविताएँ हैं, जो अपने समाज की विडंबनाओं को उजागर करने
छह साल की छोकरी: विमर्श का तीसरा कोंण साथियों, पिछली पोस्ट में हमने ‘छह साल की छोकरी’ कविता विवाद से संदर्भित पक्ष और विपक्ष दोनों को आपके समक्ष रखा था। इस पोस्ट में मैं अपनी बात रखूंगा। हो सकता है आप मुझसे सहमत ना हों, लेकिन फिर भी मुझे लगता है कि बात
हिंदी खंडकाव्य: क्या पहचान प्रिया की होगी साथियों, पुस्तक चर्चा के अन्तर्गत आज हम बात करेंगे हिंदी खंडकाव्य ‘क्या पहचान प्रिया की होगी’ की। इस खंडकाव्य के रचयिता हैं- त्रिभुुवन गिरि। खंडकाव्य के विषय में- क्या पहचान प्रिया की होगी ‘क्या पहचान प्रिया की होगी’ उत्तराखंड के प्रसिद्ध लेखक त्रिभुवन गिरि का हिंदी
वीरों के गीत लिखूंगा ना सत्ता, ना सिंहासन, ना अमीरों के गीत लिखूंगा। मैं जब भी कलम चलाऊंगा, वीरों के गीत लिखूंगा।। भीषण गर्मी, जाड़े में जो, सरहद पर हैं डटे हुए। राष्ट्र हित की चाहत में जो, अपनों से हैं कटे हुए। मैं तो ऐसे बलशाली, धीरों के गीत लिखूंगा। मैं
ओ प्रवासी पंछी तुझे गाँव बुलाता है तेरी याद में निशदिन रह-रह अकुलाता है, ओ प्रवासी पंछी तुझे गाँव बुलाता है। अनगिनत ख्वाबों को संग में ले चले उड़ते उड़ते तुम इतनी दूर उड़ चले वापस आना भी चाहो तो मन जलाता है ओ प्रवासी पंछी तुझे गाँव बुलाता है। दादी मां के