कठिन नहीं कोई भी काम, हर काम संभव है। मुश्किल लगे जो मुकाम, वह मुकाम संभव है - डॉ. पवनेश।

Category: डॉ. पवनेश की लघुकथाएँ

मंगल ग्रह पर

     मंगल ग्रह पर वैज्ञानिक डॉ० राणा मंगल ग्रह पर पहुँचे। उन्होंने पाया कि पृथ्वी की तरह वहाँ भी जीवन है। डॉ० राणा को खोज करते समय वहाँ आदिमानव जैसे तीन लोग मिले। वो अजीब भाषा में बोल रहे थे, लेकिन लैंग्वेज कन्वर्टर मशीन के माध्यम से डा० राणा उनकी बात समझ पा रहे

दोस्ती

दोस्ती गर्मियों के दिन थे, गाँव के बच्चों ने नदी में नहाने की योजना बनाई। रविवार को सभी बच्चे नदी की ओर चल दिए। जब सभी बच्चे नदी में नहा रहे थे, ठीक उसी समय मोहन का पैर फिसल गया और वह बहाव में बहने लगा। मोहन को बहते देख राकेश ने उस ओर छलांग

खामोशियाँ कुछ कह रही हैं

     खामोशियाँ कुछ कह रही हैं “देखो बेटा ! कितनी खामोशी है यहाँ ! तुम्हें लगता नहीं ये खामोशियाँ कुछ कह रही हैं।” देबू काका ने कहा। “हाँ, काका ! मैंने सपने में भी नहीं नहीं सोचा था कि पांच सालों में गाँव इतना बदल जायेगा। चारों ओर सन्नाटा ही सन्नाटा पसरा हुआ है।”

हार की खुशी

                      हार की खुशी उसे जीतने की आदत थी। उसे लगता था कि खुशी केवल जीतने से मिलती है। उस दिन जब वह प्रेमिका के चेहरे पर एक मुस्कुराहट देखने के लिए हार गया, तब उसे एहसास हुआ कि कभी-कभी हार की खुशी जीत की खुशी

मंजिल की ओर

मंजिल की ओर रमेश कक्षा तीन में पढ़ता था। वह पढ़ने में अत्यधिक होशियार था। इसी वजह से रमेश के पिताजी उसे कक्षा तीन से सीधे कक्षा पांच में एडमिशन दिलाना चाहते थे। जब रमेश ने तीसरी कक्षा भी प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की तब रमेश के पिता ने विद्यालय के प्रधानाचार्य जी से कहा-

प्रेम

                  प्रेम दारोगा जी थाने में बैठे हुए थे। एक आरोपी को उनके सामने लाया गया तो, उन्होंने आरोपी को डांटते हुए पूछा- “तुमने उस लड़की के मुंह पर तेजाब क्यों फैंका ?” आरोपी ने सिर ऊंचा करते हुए दृढ़ता से कहा- “क्योंकि मैं उससे प्रेम करता था….।”

वीर सिपाही

                              वीर सिपाही रघुवर गाँव के इंटर कॉलेज में कक्षा बारह में पढ़ता था। वह पढ़ाई-लिखाई में औसत दर्जे का था, लेकिन लड़ने-झगड़ने में माहिर था। उसे फौज में भर्ती होने का शौक था। एक दिन की बात है, रघुवर ने

प्रेम की होली

 प्रेम की होली होली पर गांव- बाजार का माहौल गरमाया हुआ था। जहाँ- तहाँ रंग से पुते होल्यार ही होल्यार नजर आ रहे थे। होली है- होली है की ध्वनि से वातावरण गुंजायमान हो रहा था। राजेश, मदन और राहुल भी अपनी- अपनी पिचकारी से लोगों को भिगा रहे थे। अचानक उन्होंने देखा कि उनका
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