पुतले हैं तैयार, चलो दशहरा देखने यार
पुतले हैं तैयार,चलो दशहरा देखने यार
अल्मोड़ा का दशहरा महोत्सव भारत में ही नहीं वरन पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस प्रसिद्धि का प्रमुख कारण यहाँ बनाये जाने वाले रावण परिवार के पुतले हैं। यहाँ के पुतले कलात्मकता और भव्यता के साथ उन कलाकारों के द्वारा निर्मित होते हैं, जो किसी भी तरह से पेशेवर नहीं हैं। ये कलाकार हिन्दू, मुस्लिम, ईसाई अथवा किसी भी धर्म अथवा सम्प्रदाय के हो सकते हैं। कलाकारों के साथ-साथ युवा और बच्चे भी पुतलों को सजाने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। दशहरे के दिन इन पुतलों का जुलूस भी निकाला जाता है।
अल्मोड़ा में दशहरा महोत्सव की तैयारी एक माह पहले से ही हो जाती है। अब पुतला निर्माण कमेटियाँ इन पुुुुतलों का निर्माण करती हैैं। ये पुतले ऐंगिल अचरन के फ्रेम पर निर्मित होते हैैं। पुतलों में पराल भरकर, उन्हें बोरे से सिलकर बाद में कपड़े से उन्हें मनमाफिक आकृति दी जाती है। चेहरा प्लास्टर आफ पेरिस का भी बनाया जाता है ।
इन पुतलों की नयनाभिराम छवि, आँख, नाक तथा विशिष्ट अवयवों को अनुपात देने में यहाँ के शिल्पी अपनी सा कला झोंक देते हैं। इन शिल्पियों का हस्तलाघव, कल्पनाशीलता और कला- कौशल देखते ही बनता है। पूरा धड़ एक साथ बनाया जाता है, केवल चेहरा अलग से तैयार किया जाता है। अंत में पुतले का अलंकरण किया जाता है। अल्मूनियम की पन्नियों व चमकदार कागज से किरीट, कुँडल, माला, कवच, बाजूबंद तथा विभिन्न शस्त्र बनाये जाते हैं ।
दशहरे के दिन दोपहर से यह पुतले अपने निर्माण स्थल से निकलते हैं। पुतलों की यात्रा लाला बाजार से एक जुलूस के रुप में प्रारंभ होती है। इन पुतलों में रावण, मेघनाद, मारीच, कुम्भकर्ण, ताड़िका, सुबाहु, त्रिशरा, अक्षय कुमार, मकराक्ष, खरदूषण आदि के पुतले प्रमुख हैं। पुतलों के साथ-साथ पुतला निर्माण समितियों के लोग भी ढोल-नगाड़ों के साथ नृत्य करते हुए चलते हैं। जूलुस आर्मी कैंट के निचले हिस्से से होते हुए हेमवती नंदन बहुगुणा स्टेडियम पहुंचता है। यहाँ भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं और रात 12 बजे पुुतलों का दहन किया जाता है। सर्वश्रेष्ठ पुतलों को बाद में सम्मानित भी कियाा जाता है। कभी-कभी तो इन पुतलों की संख्या 30 तक पहुँच जाती है।
इस बार के पुतले भी तैैयार हो चुके हैं और (दि ० 08-10-2019) को इन पुुुतलों का दहन किया जायेगा। विशेेष बात यह है कि इस बार अल्मोड़ा प्रशासन की ओर से ‘बेेेटी बचाओ, बेेटी पढ़ाओ’ का संंदेश देते हुए पुतले को शामिल किया जायेगा।

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