कुमाऊँ के 11 प्रसिद्ध होली गीत ( Kumauni Holi Songs )
कुमाउनी होली ( Kumauni Holi )
कुमाऊँ में होली गायन की परंपरा 15 वीं शताब्दी में चंद राजाओं के शासनकाल से रही है। कुमाउनी होली का अपना विशेष ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्त्व है। कुमाऊँ में होली का त्यौहार बसंत पंचमी के दिन शुरू हो जाता है। कुमाउनी होली के तीन रूप देखने को मिलते हैं- बैठकी होली, खड़ी होली और महिला होली। चीड़ बंधन और छरड़ी के साथ सम्पूर्ण कुमाऊँ में होली का त्यौहार अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
कुमाऊँ के 11 प्रसिद्ध होली गीत
होली-०१, सिद्धि को दाता
सिद्धि को दाता विघ्न विनाशन,
होली खेलें गिरजापति नन्दन।
गौरी को नन्दन, मूसा को वाहन। होली खेलें….
लाओ भवानी अक्षत चन्दन,
पूजूँ मैं पहले जगपति नन्दन। होली खेलें….
गज मोतियन से चौक पुराऊँ,
अर्घ दिलाऊँ पुष्प चढ़ाऊँ। होली खेलें….
डमरू बजावै संभु-विभूषन,
नाचै गावैं भवानी के नन्दन। होली खेलें….।
होली-०२, कैले बांधी चीर
कैले बांधी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
गणपति बांधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
ब्रह्मा, विष्णु बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
शिव शंकर बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
रामचन्द्र बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
लछीमन बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
श्रीकृष्ण बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
बलीभद्र बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
नवदुर्गा बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
भोलानाथ बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
इष्टदेव बाँधनी चीर, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….
सबै नारी छिड़कत गुलाल, हो रघुनन्दन राजा। कैले बांधी….।।
होली-०३, जय बोलो यशोदानंदन की
जय बोलो यशोदानंदन की।
मोर मुकुट पीतांबर सोहे,
भाल विराजे चंदन की। जय बोलो….
मधुर-मधुर स्वर बाजत तन में,
मुरली यशोदानंदन की। जय बोलो….
यमुना के नीरे-तीरे धेनु चरावै,
हाथ लकुटिया चंदन की। जय बोलो….
वृंदावन में रास रचो है,
सहस्त्र गोपी कुंजन की। जय बोलो….
शारद शेष महेश विधाता,
सुर नर मुनि के वंदन की। जय बोलो….
विनती करते हूँ, पांय परत हूँ,
सुखदायक दुख भंजन की। जय बोलो….।।
होली-०४, भलो-भलो जनम लियो
भलो-भलो जनम लियो,
श्याम राधिका भलो जनम लियो मथुरा में।
भर भादों की रतिया में रे,
भर भादों की रतिया में रे,
किशना भये अवतार राधिका,
भलो-जनम लियो मथुरा में।
रोहिणी नछत्र पड़ो है (२)
जन्म लियो बुधवार राधिका,
भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो-भलो जनम लियो मथुरा में।
कौन की कोख से जन्म लियो है (२)
कौन खिलाये गोद राधिका,
भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो-भलो जनम लियो मथुरा में।
देवकी की कोख से जनम लियो है (२)
यशोदा खिलाये गोद राधिका,
भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो-भलो जनम लियो मथुरा में।
माता-पिता की बंदी छूटी (२)
खुल गये बंद किवाड़,
राधिका भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो-भलो जनम लियो मथुरा में।
चारों चौकी सोई रही है (२)
सोई रहै चौकीदार राधिका,
भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो-भलो जनम लियो मथुरा में।
ले बालक वासुदेव चले हैं (२)
पहुंचे यमुना तीर राधिका,
भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो- भलो जनम लियो मथुरा में।
ले बालक पार गये हैं (२)
गोकुल जा पहुंचाय राधिका,
भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो-भलो जनम लियो मथुरा में।
जब बालक गोकुल पहुंचा (२)
हो रही जय-जयकार राधिका,
भलो जनम लियो मथुरा में,
भलो-भलो जनम लियो मथुरा में।।
होली-५, बृज मंडल
बृज मंडल देश दिखाओ रसिया,
बृज मंडल हो।
तेरे बिरज में नारि बहुत हैं,
छोटी-छोटी नारि सुघड़ रसिया। बृज मंडल….
तेरे बिरज में गाय बहुत हैं,
पी-पी दूध भई पठियां। बृज मंडल….
तेरे बिरज में मोर बहुत हैं,
कुहुके मोर फटे छतियां। बृज मंडल….
तेरे बिरज में धान बहुत हैं,
फटकै नारि कुटै रसिया। बृज मंडल….
तेरे बिरज में गीत बहुत हैं,
गावै नारि सुनै रसिया। बृज मंडल….
होली-६, जल कैसे भरूँ
जल कैसे भरूं जमुना गहरी।
जल कैसे भरूं जमुना गहरी।।
ठाड़ी भरूं राजा राम जी देखें।
बैठी भरूं भीजै चुनरी। जल कैसे….
धीरे चलूं घर सासु बुरी है।
धमकि चलूं छलकै गागर। जल कैसे….
गोदी में बालक सिर पर गागर,
परवत से उतरी गोरी। जल कैसे….।
होली-७, झुकि आयो
झुकि आयो शहर में व्यौपारी,
झुकि आयो शहर में व्यौपारी।
इस व्यौपारी को भूख बहुत है,
पूरियां पकादे नथवाली। झुकि आयो….
इस व्यौपारी को प्यास बहुत है,
पनिया पिलादे नथवाली। झुकि आयो….
इस व्यौपारी को नींद बहुत है,
पलंग लगादे मतवाली। झुकि आयो….।
होली-८, मोहन गिरधारी
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी,
हाँ हाँ हाँ मोहन गिरधारी।
ऐसो अनाड़ी चुनर गयो फाड़ी,
ओ हो हंसी हंसी दे गयो गारी, मोहन गिरधारी।
हाँ हाँ हाँ मोहन………
चीर चुराय कदम चढ़ि बैठो,
पातन जाय छिपोई, मोहन गिरधारी।
हाँ हाँ हाँ मोहन………
बांह पकड़ मोरि अंगुली मरोड़ी,
नाहक राड़ मचाय, मोहन गिरधारी।
हाँ हाँ हाँ मोहन……..
दधि मेरो खाय मटकी मेरी तोड़ी,
हंसी हंसी दे गयो गारी, मोहन गिरधारी।
हाँ हाँ हाँ मोहन………।
होली-९, राजा बलि
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
निरनब्बे यज्ञ किये राजा बलि ने (२)
किन्ही स्वर्ग की आशा, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी
राजा बलि छलने।
इंद्र सिहासन डोलन लाग्यो (२)
पहुंचे विष्णु के पासा, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
बूड़े बामन का भेष धरयो (२)
पहुंचे बलि के पासा, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
बूड़े बामन को आसन दीनो (२)
पूछे सारे हाला, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
माग ले बामन जो कछु मागे (२)
जो मन इच्छा होय राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
तीन चरण मोहे धरती दीजो (२)
यज्ञ करण की आशा, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
अहो बामन तने कछु नहीं माँगा (२)
किस्मत तेरी खोटी, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
एक चरण से धरती नापी (२)
दूजे से आकाशा, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
तीसरो चरण बलि सिर पर राख्यो (२)
बलि पहुंचे पाताला, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
राजा बलि पाताल सिधारो (२)
भीष उड़े आकाशा, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने।
घन घन घन घन घंटा बाजे (२)
धूल उड़ी आकाशा, राजा बलि छलने,
राजा बलि छलने को आये त्रिलोकी,
राजा बलि छलने…..।।
होली-१०, सीता राम को ब्याह
सीता राम को ब्याह, जनकपुर जाना है।
सीता राम को……।
कै लख आये हस्ती घोड़ा,
कै लख आये बारात। जनकपुर……
छै लख आये हस्ती घोड़ा,
अनगिनत आये बारात। जनकपुर……
गाय गोबर से मंदिर लिपायो,
मोतियन चौक पुराय। जनकपुर……..
अबीर गुलाल के मंडप बने हैं,
रेशम डोर फिराय। जनकपुर………..
भर मोतियन से कलश भराये,
हो रही जै-जैकार। जनकपुर………..
होली-११, मत जाओ पिया
मत जाओ पिया होली आई रही,
मत जाओ पिया होरी आई रही।
आई रही ऋतु जाई रही,
मत जाओ पिया……।
पाँव पड़ूँगी हाथ जोड़ूँगी,
बाँह पकड़ के मनाय रही।
मत जाओ पिया……।
आगे सजना पीछे सजनी,
पाँव में पाँव मिलाय रही।
मत जाओ पिया……।
जिनके पिया परदेश बसत हैं,
उनकी नारी सोच मरी।
मत जाओ पिया……।
जिनके पिया नित घर में बसत हैं,
उन की नारी रंग भरी,
मत जाओ पिया……।
मत जाओ पिया होली आई रही,
मत जाओ पिया होली आई रही।।
*आप सभी को रंग पर्व होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।*
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बहुत सुंदर।यह लिख कर बांटने लायक है।